शंघाई : नौ बार के ओलंपिक चैंपियन तैराक मार्क स्पिट्ज का मानना है कि भारत को अपने देश के लोगों को खेलों को अपनाने के लिए प्रेरित करने और खेलों में अग्रणी राष्ट्र बनने के लिए ओलंपिक खेलों की मेजबानी का दावा करना चाहिए.
स्पिट्ज ने 1972 म्यूनिख ओलंपिक खेलों में सात स्वर्ण पदक जीते थे. उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा की कमी तथा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण भारत अधिक ओलंपियन पैदा नहीं कर पा रहा है.उन्होंने लारेस खेल पुरस्कारों से पत्रकारों से कहा, मुझे नहीं लगता है कि इसका कारण धन की कमी है. इसका कारण प्रतिस्पर्धा की कमी है. अमेरिका में कालेज में ही कड़ा प्रतिस्पर्धी माहौल है और इससे खिलाड़ी की क्षमता बढ़ती है. स्पिट्ज ने कहा, हम देखते हैं कि ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से लोग अमेरिका आते हैं लेकिन यह खास बात नहीं है.
भारत भी चाहे तो बाहरी स्रोतों का इस्तेमाल कर सकता है लेकिन मुझे लगता है कि भारत में मामला सांस्कृतिक है. सामाजिक आर्थिक क्षेत्र में अन्य चीजें हैं जो कि एक खिलाडी बनने से ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है. वहां पारिवारिक, धार्मिक परंपराएं हैं जो खिलाड़ी के महत्व को थोड़ा कम कर देते हैं.
उन्होंने कहा, मैं कोई जादू नहीं जानता लेकिन मुझे लगता है कि भारत को बदलने की जरूरत है क्योंकि आपके पास करोड़ों लोग है और आपके पास एक लाख महान ओलंपियन हो सकते है. आपको लोगों को प्रेरित करने और मानसिकता बदलने के लिए ओलंपिक का दावा करना चाहिए. लेकिन आप हजारों वर्षों से चली आ रही परंपरा को नहीं बदल सकते.