सिडनी : आम तौर पर कमजोर माने जाने वाले भारतीय तेज गेंदबाज मौजूदा विश्व कप में पूरी तरह से छाए रहे हैं और उन्होंने विरोधी टीमों के 70 में से 43 विकेट अपने नाम किए हैं. भारत ने जब से ऑस्ट्रेलिया की सरजमीं पर कदम रखा तब से यही सवाल पूछा जा रहा था कि भारतीय बल्लेबाज उछाल भरी पिचों पर शार्ट पिच गेंदों का सामना कैसे करते हैं. लेकिन तीन महीने बाद भारतीय तेज गेंदबाज शार्ट पिच गेंदों का शानदार इस्तेमाल करके विरोधी बल्लेबाजों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं.
भारत ने अब तक सात मैचों में विरोधी टीमों के 70 विकेट चटकाए हैं और इनमें से 43 विकेट तेज गेंदबाजों ने हासिल किए हैं और इसमें से भी लगभग 25 विकेट शार्ट गेंद पर मिले हैं. कुछ दिन पहले धोनी ने अपनी तीन साल पहले की प्रेस कांफ्रेंस का जिक्र किया था जब उनसे आईसीसी के प्रति ओवर दो बाउंसर की स्वीकृति देने के बारे में पूछा गया था.
धौनी ने बताया था, किसी ने मुझसे पूछा प्रति ओवर दो बाउंसर के नियम पर आपकी क्या प्रतिकिय्रा है. मैंने जबाव दिया, एक बाउंसर तो इनसे ठीक से डाली नहीं जाती, दो बाउंसर क्या मैं घर लेकर जाउंगा. उस दिन व्यंग्य से भरे इस बयान को उलटने के लिए भारतीय तेज गेंदबाजों ने कडी मेहनत की. यह स्वाभाविक है कि ऑस्ट्रेलिया में तेज गेंदबाजों को अधिक विकेट मिलते हैं लेकिन इससे पहले भारतीय टीम कभी भी पिच को इतनी अच्छी तरह इस्तेमाल नहीं कर पाई.
भारत की ओर से मोहम्मद शमी ने 17 विकेट चटकाए हैं जबकि टीम इंडिया के सबसे तेज गेंदबाज उमेश यादव ने 14 और मोहित शर्मा ने 11 विकेट हासिल किए हैं. टूर्नामेंट में मोहम्मद शमी की जगह एकमात्र मैच खेलने वाले भुवनेश्वार कुमार ने एक विकेट हासिल किया. इनमें भी मोहित ने बाउंसर का प्रभावी इस्तेमाल किया क्योंकि वह बाउंसर के साथ अपनी गति को नियंत्रित कर सकते हैं. मोहित 130 किमी प्रति घंटा के आसपास रफ्तारी वाली गेंद से अचानक 140 किमी प्रति घंटा की रफ्तार वाली गेंद डाल सकते हैं.
पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज और यूएई के मौजूदा कोच आकिब जावेद ने हाल में पर्थ में कहा था, मोहित की बाउंसर सबसे प्रभावी है. यहां तक कि धोनी भी इस बात से सहमत हैं कि मोहित शार्ट बाल का शानदार इस्तेमाल करते हैं.