विश्व कप आरंभ होने में अब मात्र चार दिन शेष रह गये हैं. लेकिन महामुकाबले में उतरने से पहले टीम इंडिया में पूरी तैयारी नजर नहीं आ रही है. 2015 में अभी तक भारत को एक भी जीत नसीब नहीं हुई है. ऑस्ट्रेलिया के हाथों टेस्ट मैच में करारी हार, फिर वनडे में. त्रिकोणीय श्रृंखला में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड दोनों ने मिल कर भारत को हराया और अब ऑस्ट्रेलिया ने अभ्यास मैच में भी 106 रनों से हराकर भारत की उम्मीदों पर संकट खड़ा कर दिया है.
भारतीय टीम को मौजूदा विश्व कप का चैंपियन टीम माना जा रहा है. कई पूर्व क्रिकेटरों ने यहां तक कह डाला है कि इस बार भी कप भारत के खाते में ही आ रहा है. लेकिन 2015 में अब तक टीम इंडिया के प्रदर्शन ने काफी निराश किया है. न केवल गेंदबाजों ने, बल्कि बल्लेबाजों ने भी काफी निराश किया है. आइये जानते हैं कि विश्व कप से पहले कौन-कौन से चुनौतियां हैं जिससे भारतीय टीम को दो-चार होना पड़ सकता है.
* बल्लेबाजों का फार्म में न होना
टीम इंडिया के लिए सबसे बड़ी समस्या है कि उसके चोटी के बल्लेबाज अब तक अपने फार्म में नहीं लौट पाये हैं. ऑपनर शिखर धवन को अगर अभ्यास मैच में छोड़ दिया जाए तो अब तक काफी खराब प्रदर्शन किया है. धवन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन टेस्ट मैच के छह पारियों में कुल 167 रन बनाये हैं. पांच वनडे में कुल 108 रन बनाये हैं.
इसी तरह से कोहली, रोहित शर्मा, सुरेश रैना और महेंद्र सिंह धौनी जैसे चोटी के खिलाडियों ने काफी निराश किया है. विश्व कप में भारत को 15 फरवरी के दिन अपने चिरप्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ मैदान पर उतरना है. इस मैच को विश्व कप का पहला फाइनल मुकाबला माना जा रहा है. वैसे में टीम इंडिया के बल्लेबाजों को फार्म में लौटना जरूरी हो गयी है. हालांकि राहत की बात है कि लंबे समय से आउटऑफ फार्म चल रहे शिखर धवन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 59 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली.
* गेंदबाजों का लचर प्रदर्शन
गेंदबाजी टीम इंडिया के लिए बड़ी समस्या है. हाल के मैचों में भारत की हार में गेंदबाजों की अहम भूमिका रही है. चाहे तेज गेंदबाज हों या स्पिनर सभी ने शुरूआती ओवर में विकेट लेने में कामयाब नहीं रहे हैं. आरंभ में विकेट नहीं गिरने से टीम को खामियाजा उठाना पड़ता है और विपक्षी टीम विशाल स्कोर करने में कामयाब रहती है.
* टीम में आत्मविश्वास की कमी
विश्व कप से पहले सभी देशों ने अपनी मजबूत टीम को मैदान में उतारने पर काम करती है. टीम चुनाव में चयनकर्ताओं ने एक बार फिर युवा टीम पर भरोसा जताया है और सहवाग,युवराज,हरभजन,गौतम गंभीर जैसे दिग्गज खिलाडियों को टीम में जगह नहीं दिया गया और बिन्नी जैसे कम अनुभवी युवा खिलाडियों पर भरोसा दिखाया है. लेकिन आत्मविश्वास से डगमगायी टीम इंडिया सभी विभागों में असफल साबित हो रही है. इस टीम में ऐसा कभी भी नहीं लगा है कि मैदान में केवल जीत के लिए उतरे हैं.
खुद कप्तान महेंद्र सिंह धौनी में इसकी कमी दिख रही है. पूर्व क्रिकेटर मोनिंदर सिंह ने तो यहां तक कह डाला है कि धौनी में नकारात्मक क्षवि नजर आने लगी है. अब जब विश्व कप में महज चार दिन शेष रह गये हैं तो टीम इंडिया के लिए सबसे जरूरी है कि अपने खोयी आत्मविश्वास को पुन: वापस पा ले और जीत के इरादे से मैदान पर उतरे.
* थकी सी लग रही है टीम इंडिया
मैदान में टीम इंडिया को देख कर ऐसा कतई नहीं लगता है कि यह टीम युवा ब्रिगेड से लबरेज है. बल्लेबाजों में वह दम नहीं दिखता है जो कुछ दिन पहले दिखाई पड़ रही थी. गेंदबाजों के गेंद में पैनापन की कमी है. उनकी गेंदों में वह क्षमता नजर नहीं आती है कि विकेट ले सके.
लगातार हार रही टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह चुके हैं कि हार के पीछे टीम की थकान है. श्रृंखला लंबी होने के कारण खिलाड़ी थक गये हैं उन्हें आराम की जरूरत है. पूर्व क्रिकेटर अमरनाथ ने भी कहा है कि भारतीय टीम में थकान साफ नजर आती है.
* कप्तान धौनी में आत्मविश्वास की कमी
इसमें कोई शक नहीं है कि कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने ही टीम को शिखर पर पहुंचाया है. धौनी ने भारत को दूसरी बार विश्व विजेता बनाया है. भारत के सबसे सफल कप्तान धौनी को करिश्माई कप्तान कहा जाता है. लेकिन हालिया श्रृंखला में उनकी कप्तानी में पैनापन नजर नहीं आ रहा है.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बीच में अचानक संन्यास की घोषणा करके धौनी ने सबको चौका दिया था. इस घटना के बाद से धौनी अपने फार्म में नहीं लौट पाये हैं. विश्व कप में भारत को जीत दर्ज करनी है तो कप्तान धौनी की कप्तानी को फार्म में लौटना जरूरी है.