रांची: भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के मित्र, रणजी क्रिकेट व हेलीकॉप्टर शॉट के जनक संतोष लाल उर्फ बंटी की बुधवार को दिल्ली के अस्पताल में मृत्यु हो गयी. वह 32 वर्ष के थे. संतोष लाल को अग्न्याशय संबंधित बीमारी से ग्रस्त होने के चलते 15 जुलाई को अचेत अवस्था में दिल्ली भेजा गया था. उनके परिवार में माता-पिता, एक भाई, भाभी, पत्नी के अलावा तीन वर्षीय बेटी और भतीजा भी है. पूरा परिवार संतोष लाल पर ही आश्रित था. संतोष के पिता बीएमपी स्कूल के प्राचार्य थे. अब वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं. बुधवार को 3.10 बजे उनका पार्थिव शरीर रांची लाया गया और शाम 5.53 बजे हरमू मुक्ति धाम में अंतिम संस्कार कर दिया गया.
भतीजे ने दी मुखाग्नि
बंटी के चार वर्षीय भतीजे आदित्य वैभव (गन्नू ) ने मुखाग्नि दी. शाम 5.07 बजे उनका शव हरमू मुक्तिधाम पहुंचा. काफी संख्या में लोग उन्हें कंधा देने के लिए आगे आये. बंटी के बड़े भाई राजन लाल सहित परिवार के अन्य सदस्यों का रो–रोकर बुरा हाल था. लोग उन्हें ढांढ़स बंधा रहे थे. संतोष लाल की मौत की खबर से उनके दोस्त व क्रिकेटर काफी स्तब्ध थे.
स्तब्ध रह गये धौनी
सुबह संतोष लाल के निधन की खबर उनके खास दोस्त महेंद्र सिंह धौनी को इस बारे में पता चला, तो वह स्तब्ध रह गये. संतोष लाल के इलाज का खर्च धौनी वहन कर रहे थे. दिल्ली में उन्होंने अपने प्रोमोटर और पूर्व रणजी खिलाड़ी अरुण पांडेय से कहा था कि संतोष के इलाज में किसी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए.
हजारों लोग पहुंचे
बंटी के अंतिम संस्कार में एक हजार से अधिक लोग पहुंचे. सुबह जैसे ही संतोष लाल की मौत की खबर आयी, उनके मित्र, राज्य के क्रिकेटर और उन्हें जाननेवाले लोग एयरपोर्ट पहुंचने लगे. पार्थिव शरीर लानेवाले विमान का समय 2.50 था, लेकिन लोग इससे काफी पहले से ही एयरपोर्ट पर जम गये. एयरपोर्ट से उनका पार्थिव शरीर बाहर आते ही वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गयी.
ससुराल में पसरा सन्नाटा
क्रिकेट खिलाड़ी सह धौनी के मित्र रहे सहरसा जिला के वनगांव निवासी (वर्तमान में रांची) अनंत लाल के 32 वर्षीय पुत्र संतोष लाल के असामयिक निधन की सूचना मिलते ही बेनीपुर के बैगनी स्थित उनके ससुराल में बुधवार को मातमी सन्नाटा छा गया. संतोष की शादी बैगनी निवासी स्वर्गीय परमानंद चौधरी की छोटी पुत्री भारती के साथ 14 जुलाई 2010 को हुई थी. उनके निधन की सूचना पाते ही उनके ससुराल में कोहराम मच गया. उनके यहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गयी. विलाप करते हुए उनके चचेरे ससुर कृष्णानंद चौधरी ने कहा कि डेढ़ माह पूर्व संतोष अपने ससुर के श्रद्ध कर्म में बैगनी आये थे. किसी को यह नहीं पता था कि फिर उनसे मुलाकात नहीं होगी.
अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़
अंतिम यात्रा में पूर्व उप मुख्यमंत्री सह विधायक सुदेश महतो, चंद्र प्रकाश चौधरी, नवीन जायसवाल, रामचंद्र सहिस, पूर्व उप महापौर अजय नाथ शाहदेव, देवल सहाय, प्रदीप खन्ना, अनवर मुस्तफा, सुनील सिंह, संदीप मिश्र, संजय कुमार मिश्र, धनंजय सिंह, आदिल हुसैन, किशन अग्रवाल, प्रकाश उपाध्याय, संतोष सहाय, देवेश चंद्रा, अमित श्रीवास्तव, दीपक पांडेय, नरेंद्र सिंह धौनी, माणिक घोष, विवेक गर्ग, रमेश सिंह, लाल कमल नाथ शाहदेव, हिमांशु शेखर, मनोज सिंह, प्रमोद चौधरी, गौतम गुप्ता, एसपी गुप्ता, अरुण विद्यार्थी, राज कुमार गुप्ता, शशि भूषण चौबे, उपेंद्र सिंह, सुब्रतो सरकार, जोसेफ मैथ्यू, शेखर राव,राजेश झा, कुलदीप शर्मा, हरक राज, प्रमोद सिंह, प्रकाश उपाध्याय, जनार्दन राव, जय कुमार सिन्हा, विनोद प्रधान, अनूप गांगुली, प्रभात कुमार, मनोज मिश्र, रमाकांत महतो, गुड्ड मिश्र, कमल झा, गोपी दुबे सहित अन्य शामिल थे. अंतिम यात्र के दौरान काफी संख्या में युवा क्रिकेटर, हिनू के गणमान्य लोगों के अलावा विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संस्था के अधिकारी व सदस्य समेत कई लोग उपस्थित थे.
मृदुभाषी व मिलनसार थे संतोष
पूर्व रणजी क्रिकेट खिलाड़ी संतोष लाल का पार्थिव शरीर बुधवार को सेवा विमान से रांची पहुंचा. एयरपोर्ट पर संतोष लाल के परिजन, दोस्तों का तांता लगा हुआ था. सभी की आंखें नम थी. जैसे है ओल्ड टर्मिनल बिल्डिंग से पार्थिव शरीर को बाहर लाया गया, लोग फूट–फूट कर रोने लगे. दोपहर करीब 3.10 बजे पार्थिव शरीर को न्यू साकेत नगर आवास में लाया गया. हर किसी के जवान पर यही था कि बहुत अनर्थ हुआ. बहुत ही मृदुभाषी लड़का था. हमेशा बड़ों का सम्मान करता था. पार्थिव शरीर को देखने के लिए सुबह से ही मुहल्ले के लोग आवास में जमा थे.
लोगों की भीड़ के कारण घर पर पैर रखने की जगह नहीं थी. संतोष लाल की शादी वर्ष 2010 में भारती से हुई थी. उसकी डेढ़ वर्ष की बेटी आरुषि है. संतोष अपने पीछे पिता अनंत लाल, मां संतोषी लाल, भाई राजन लाल, पत्नी भारती, पुत्री आरुषि, बहन रिंकू और पिंकी को छोड़ गये हैं. संतोष लाल का अंतिम दर्शन करने विधायक नवीन जायसवाल, जेवीएम नेता अजयनाथ शाहदेव, धौनी के बहनोई गौतम गुप्ता आदि पहुंचे थे.
अब किसे कहेंगे बंटी : मां
संतोष लाल की मां संतोषी लाल का रो–रोकर बुरा हाल था. मां बार–बार बेहोश हो रही थी. होश में आने के बाद बस यही कह रही थी कि अब किसे बंटी कहेंगे. संतोष लाल को लोग बंटी के नाम से अधिक जानते थे.
एक बार चेहरा दिखा दो : पत्नी
पत्नी भारती भी संतोष लाल के साथ इलाज के लिए दिल्ली गयी थी. एयरपोर्ट पर ही उसकी तबीयत खराब हो गयी. उसे परिजनों ने गाड़ी में बैठाया और घर ले आये. घर पर वह बार–बार यही कह रही थी, अब किसके सहारे जीयेंगे. वह लोगों से गुहार कर रही थी कि एक बार चेहरा दिखा दो.. कह कर बेहोश हो जाती थी.
पिता थे नि:शब्द
संतोष लाल के पिता अनंत लाल सूचना मिलने के बाद ही नि:शब्द हो गये थे. परिजनों ने बताया कि उनकी तबीयत पहले से ही खराब है. चार–पांच लोगों ने पकड़ कर पिता को पुत्र के अंतिम दर्शन कराया. पार्थिव शरीर को दखते ही उनकी आंखों से लगातार आंसू निकल रहे थे.
भाई की चीत्कार से गूंजा मुहल्ला
बड़ा भाई राजन लाल संतोष के पार्थिव शरीर को देखते ही चीत्कार मार कर रोने लगा. हर कोई उन्हें सांत्वना दे रहा था. लेकिन भाई की चीत्कार रुक नहीं रही थी. राजन बार–बार कह रहे थे दो दिन पहले ही वह सब से हंस बोल रहा था अचानक क्या हो गया. कोई मेरे भाई को उठाओ ना. वह बार–बार अपने भाई का मुखड़ा देख कर फफक पड़ते और लोगों से उसे जगाने की गुजारिश करते.
डॉक्टर साब, मैं बच जाऊंगा ना..
डॉक्टर साब, मैं बच जाऊंगा ना.. मुङो बचा लीजिए.. मैं जीना चाहता हूं. ये बातें पूर्व रणजी क्रिकेटर संतोष लाल ‘बंटी’ के संभवत: आखिरी शब्द रहे. सोमवार को एयर एंबुलेंस से दिल्ली जाते वक्त उन्होंने डॉक्टर रचित भूषण से ये बातें कही. डॉ रचित के अनुसार एयर एंबुलेंस में संतोष बार–बार उनसे बचा लेने को कह रहे थे. डॉ रचित ने बताया कि दिल्ली में उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था. इलाज के दौरान रात करीब 12.30 बजे अस्पताल से डॉ रचित को फोन आया. फोन पर बताया गया कि संतोष के परिजनों को बुला लें. अस्पताल पहुंचने पर डॉ रचित को पता चला कि मल्टी ऑर्गन फेल्योर के शिकार संतोष लाल के पेंक्रियाज ने काम करना बंद कर दिया है. रात दो बजे के आसपास उनकी लीवर और किडनी के फंक्शन भी बंद हो गये. तड़के 3.30 बजे के आसपास डॉक्टरों ने बताया कि संतोष लाल के फेफड़े भी काम नहीं कर रहे हैं. उसी समय उन्हें पहला अटैक भी आया. फिर सुबह 5.30 बजे कार्डिएक अरेस्ट के कारण संतोष की मौत हो गयी.
मौसम ने दिया धोखा
संतोष लाल को रविवार को ही रांची से दिल्ली ले जाया जा रहा था. शाम में एयर एंबुलेंस उन्हें लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुआ, लेकिन बनारस से उसे वापस लौटना पड़ा. महेंद्र सिंह धौनी के बहनोई गौतम गुप्ता ने बताया कि मौसम खराब होने की वजह से एयर एंबुलेंस को लैंडिंग की इजाजत नहीं मिली. इसी वजह से उसे बनारस से वापस लौटना पड़ा और दोबारा सोमवार को उन्हें दिल्ली ले जाया गया. इस बीच उनकी तबीयत और बिगड़ गयी. डॉक्टर रचित ने बताया कि यदि रविवार को संतोष को दिल्ली में भरती करा दिया जाता, तो उनकी जान बच सकती थी.
काश! डॉक्टरों की बात मानी होती
संतोष लाल को एक महीने पहले ही उनके डॉक्टर ने कुछ हिदायतें दे रखी थी, लेकिन उन पर उन्होंने अमल नहीं किया. यदि तब उन्होंने डॉक्टरों की सलाह मान ली होती, तो शायद ऐसी नौबत नहीं आती.
रणजी मैचों में बनाये 280 रन
क्रिकेट के बेहतरीन खिलाड़ियों में शुमार संतोष लाल उर्फ बंटी ने झारखंड की ओर से कुल आठ रणजी ट्रॉफी मैच खेले. रणजी ट्रॉफी मैचों की 13 पारियों में 21.53 के औसत से 280 रन बनाये. इसमें उनका उच्चतम स्कोर 63 रहा. उन्होंने गेंदबाजी में भी कमाल दिखाया और 36.00 के औसत से नौ विकेट लिये. दिसंबर 2004 में हिमाचल प्रदेश के खिलाफ उन्होंने पहला रणजी मैच खेला. इस मैच की पहली पारी में उन्होंने आठ, जबकि दूसरी पारी में 38 रन बनाये. उनका आखिरी रणजी ट्रॉफी मैच केरल के खिलाफ रहा, जो उन्होंने दिसंबर 2008 में खेला. इस मैच की दोनों पारियों में उन्होंने क्रमश: 24 व 23 रन बनाये. वह विजय हजारे ट्रॉफी और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी टी-20 क्रिकेट में भी झारखंड का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. विजय हजारे ट्रॉफी के 16 मैचों की 15 पारियों में उन्होंने 16.07 के औसत से 225 रन बनाये. इसमें 54 उनका उच्चतम स्कोर रहा. वहीं गेंदबाजी में उन्होंने 16 मैचों में छह विकेट लिये. संतोष लाल ने राज्य की ओर से छह टी-20 मैच (सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी) भी खेले. छह मैचों में उन्होंने 44 रन बनाये और आठ विकेट झटके.