नयी दिल्ली : राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मुक्केबाज मनोज कुमार आज क्रिकेटर कपिल देव पर जोरदार हमला बोला है. मनोज ने कपिल पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका अर्जुन पुरस्कार इस पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान को उनकी ओर से करारा जवाब है. गौरतलब हो कि कपिल ने इस बॉक्सर की उपलब्धियों को […]
नयी दिल्ली : राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मुक्केबाज मनोज कुमार आज क्रिकेटर कपिल देव पर जोरदार हमला बोला है. मनोज ने कपिल पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका अर्जुन पुरस्कार इस पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान को उनकी ओर से करारा जवाब है. गौरतलब हो कि कपिल ने इस बॉक्सर की उपलब्धियों को मान्यता देने से इनकार कर दिया था.
शास्त्री भवन में खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के बाद मनोज ने संवाददाताओं से कहा, आज मैं कपिल देव को कह सकता हूं कि मैं मनोज कुमार हूं जिसने 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था और अब मुझे अर्जुन पुरस्कार मिला है.
उन्होंने कहा, आज मैंने कपिल देव को करारा जवाब दिया. इससे पहले कपिल देव की अगुआई वाली चयन समिति ने मनोज की पुरस्कार से अनदेखी की थी और एक अन्य मुक्केबाज जय भगवान के नाम की सिफारिश इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए की थी.
इस मुक्केबाज के मुताबिक जब उन्होंने अपनी शिकायत कपिल तक पहुंचाने की कोशिश की तो उन्होंने फोन काट दिया और पूछा कि वह कौन है. इस लाइट वेल्टरवेट मुक्केबाज ने कहा, जब मैंने कपिल देव को फोन दिया तो उन्होंने मुझसे पूछा ह्यक्या मैं आपको जानता हूं.
मैंने उन्हें बताया कि मैं मुक्केबाज मनोज हूं जिसने राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक जीता था और मेरा नाम अर्जुन पुरस्कार की सूची से हटा दिया और आप कांस्य पदक जीतने वाले को पुरस्कार दे रहे हो. मनोज ने कहा, मेरा काम मुक्केबाजी करना है. मेरी उपलब्धियों को देखते हुए मैं पुरस्कार का हकदार था. मुझे नहीं पता कि किसने मेरे खिलाफ डोपिंग के झूठे आरोप लगाए और मेरा नाम हटा दिया गया.
इस घटना से अपमानित महसूस कर रहे मनोज ने खेल मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क किया जिन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि समीक्षा बैठक में उनका नाम सूची में जोड दिया जाएगा. लेकिन समीक्षा बैठक में भी अनदेखी के बाद मनोज ने अदालत की शरण ली और दिल्ली उच्च न्यायालय में मामला दायर किया. मनोज यह मुकदमा जीत गए जिसके बाद मंत्रालय को पुरस्कार के लिए उनका नामांकन स्वीकार करना पडा.