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इंग्लैंड में पस्त हुई टीम इंडिया, फ्लेचर को हटाने की मांग, धौनी की कप्तानी पर भी सवाल

नयी दिल्ली : इंग्लैंड के खिलाफ द ओवल में पांचवें और अंतिम टेस्ट में भारत की पारी और 244 रन की हार के बाद पूर्व खिलाडियों ने कोच डंकन फ्लेचर को बाहर करने की मांग की है जबकि महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी पर भी सवाल उठाये हैं.पूर्व खिलाडि़यों ने शर्मनाक हार के दौरान फ्लेचर […]

नयी दिल्ली : इंग्लैंड के खिलाफ द ओवल में पांचवें और अंतिम टेस्ट में भारत की पारी और 244 रन की हार के बाद पूर्व खिलाडियों ने कोच डंकन फ्लेचर को बाहर करने की मांग की है जबकि महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी पर भी सवाल उठाये हैं.पूर्व खिलाडि़यों ने शर्मनाक हार के दौरान फ्लेचर की भूमिका की आलोचना करते हुए कहा कि उनका योगदान शून्य रहा और उन्हें हटाने का समय आ गया है.

पूर्व कप्तान अजीत वाडेकर ने कहा, लार्ड्स की मुश्किल पिच पर हमारे जीतने के बाद फ्लेचर क्या कर रहे थे. यहीं रचनात्मकता की कमी नजर आती है. हां, मुझे लगता है कि फ्लेचर को जाना चाहिए. इंग्लैंड में भारत के लचर प्रदर्शन का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि टीम को द ओवल में पांचवें और अंतिम टेस्ट में 40 साल में अपनी सबसे बडी हार का सामना करना पड़ा और मैच तीन दिन के भीतर खत्म हो गया. इंग्लैंड ने श्रृंखला 3-1 से जीती.

धौनी के संदर्भ में वाडेकर ने कहा, उसने अपनी तकनीक में बदलाव किया और अच्छी बल्लेबाजी की. लेकिन मुझे समझ में नहीं आता कि वह कप्तान के रुप में अपनी रणनीति में बदलाव क्यों नहीं करता. उदारण के लिए उसने थर्ड मैन नहीं रखा जहां आधे रन बने. साथ ही टीम चयन में, (रविचंद्रन) अश्विन को पहले ही टेस्ट से खेलना चाहिए था. मुझे नहीं पता कि ऐसा क्यों नहीं हुआ. पूर्व महान बल्लेबाज गुंडप्पा विश्वनाथ का भी मानना है कि मुश्किल समय में धौनी उम्मीद करते हैं कि करिश्मे से टीम इससे उबरने में सफल रहेंगी.

विश्वनाथ ने कहा, मैं उसकी विकेटकीपिंग और कप्तानी से खुश नहीं हूं. उसका अपना दिमाग है. वह हमेशा चीजों को दोहराता है. वह हमेशा करिश्मे की उम्मीद करता है. करिश्मे हमेशा नहीं होते. यह कभी कभार ही होते हैं. पूर्व स्पिनर इरापल्ली प्रसन्ना ने कहा, टीम में फ्लेचर का योगदान शून्य है. एक अन्य पूर्व कप्तान क्रिस श्रीकांत भी कोच फ्लेचर के बारे में ऐसा ही सोचते हैं. उन्होंने कहा, फ्लेचर ने टीम के लिए कोई योगदान नहीं दिया. एक टेस्ट में भारत की कप्तानी करने वाले मध्यक्रम के पूर्व बल्लेबाज चंदू बोर्डे ने मौजूदा खिलाडियों की तकनीक की आलोचना की.

बोर्डे ने कहा, मुझे हैरानी है कि इन युवाओं ने अपनी तकनीक में बदलाव नहीं किया जबकि लार्ड्स में इंग्लैंड की हार के बाद एलिस्टेयर कुक जैसे खिलाडी ने ऐसा किया जो भुवनेश्वर कुमार की स्विंग से निपटने के लिए क्रीज से कुछ फीट बाहर खड़े हुए. पूर्व खिलाड़ी अंशुमन गायकवाड़ ने भी फ्लेचर की आलोचना की.

गायकवाड़ ने कहा, मैं अतीत में कोच रहा हूं और कोच को इन चीजों गौर करना चाहिए और इनमंे सुधार करना चाहिए. मुझे नहीं पता कि क्या गलत हो रहा है. अगर कोच उन्हें कह रहा है और यह काम नहीं कर रहा है तो इसका मतलब है कि खिलाडी सुन नहीं रहे. अगर ऐसा है तो फिर कोच रखने की जरुरत की क्या है.अशोक मल्होत्रा का मानना है कि टेस्ट कप्तान के रुप में धौनी खत्म हो गये हैं.

उन्होंने कहा, वह छोटे प्रारुपों वनडे और टी20 में शानदार है लेकिन जहां तक टेस्ट क्रिकेट का सवाल है तो काफी कुछ करने की जरुरत है. उसके पास प्लान ए, बी या सी नहीं है. जहां तक टेस्ट क्रिकेट का सवाल है तो उसकी मानसिकता संकीर्ण है. निश्चित तौर पर गांगुली कहीं बेहतर था क्योंकि वह टेस्ट कप्तानी का लुत्फ उठाता था और अपने प्रदर्शन मंे गर्व महसूस करता था. मल्होत्रा ने साथ ही कहा कि फ्लेचर को कोच के रुप में काफी मौके मिल गए हैं और उन्हें हटाया जाना चाहिए.

पूर्व सलामी बल्लेबाज डब्ल्यूवी रमन ने हालांकि धोनी की बल्लेबाजी की तारीफ की. उन्होंने कहा, धौनी ने बल्लेबाज के रुप में कोई गलती नहीं की. अंतिम एकादश में भले ही उसने कुछ हैरानी भरे फैसले किए. लेकिन आप धौनी से उस समय क्या उम्मीद कर सकते हो जब बल्लेबाज विफल हो रहे हों और इतने सारे कैच छूट रहे हों. इन हालात में धौनी कुछ नहीं कर सकता.

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