नॉटिंघम:अनुभवहीन लेकिन आत्मविश्वास से ओतप्रोत भारतीय टीम बुधवार को इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मैच में उतरेगी तो उसका इरादा पिछली नाकामियों को भुला कर विदेश में अपने खराब रिकॉर्ड को सुधारने का होगा. युवा भारतीय टीम के लिए यह सुनहरा मौका है जिसे 42 दिन तक चलनेवाली सीरीज में लगातार पांच टेस्ट खेलने है. अगले चार टेस्ट लॉर्डस, साउथम्पटन, मैनचेस्टर और ओवल के मैदान पर खेले जायेंगे.
विदेश में आखिरी जीत तीन साल पहले
महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने विदेशी सरजमीं पर आखिरी टेस्ट वेस्टइंडीज के खिलाफ किंगस्टन में जून 2011 में जीता था. उसके बाद से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में उसने आठ टेस्ट गंवाये. भारत को इस सत्र में दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड में भी जीत मयस्सर नहीं हुई जहां उसने दो मैच गंवाये और दो ड्रॉ खेले. इंग्लैंड के खिलाफ पिछला टेस्ट रिकॉर्ड भी भारत के लिए चिंता का सबब है. इंग्लैंड में 4-0 से सीरीज हारने के अलावा उसे 2012-13 के घरेलू सत्र में भी 1-2 से पराजय ङोलनी पड़ी थी. भारत में इंग्लैंड 1984-85 के बाद यह पहली सीरीज जीती थी. उसके बाद से हालांकि इंग्लैंड टीम में भी काफी बदलाव आये हैं.उन सीरीजों में चमकने वाले कप्तान एलेस्टेयर कुक, तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन फिलहाल खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं, जबकि केविन पीटरसन, ग्रीम स्वान और जोनाथन ट्रॉट अब टीम में नहीं हैं. पिछले दोनों मौकों पर एंडरसन और स्वान की जोड़ी भारत पर भारी पडी थी. दोनों ने 2011 में भारत के 79 में से 34 विकेट लिये थे जबकि 2012-13 में 55 में से 32 भारतीय विकेट उनके खाते में गए थे. स्वान की कमी इंग्लैंड को खलेगी क्योंकि अब उन्हें एक अतिरिक्त सीम गेंदबाज उतारना होगा जबकि स्पिन का जिम्मा मोईन अली संभालेंगे.
एंडरसन और ब्रॉड पर होगा दबाव
इससे एंडरसन और ब्रॉड जैसे मुख्य तेज गेंदबाजों पर दबाव बढेगा. लेकिन यदि सपाट विकेटों का चलन जारी रहा तो मेजबान टीम के लिये 20 विकेट लेना आसान नहीं होगा. गेंदबाजों को टेस्ट क्रिकेट में विकेट लेने के लिये रनों का सहारा जरूरी है और ऐसे में कुक का फॉर्म चिंता का सबब है. इंगलैंड के कप्तान ने पिछली 24 पारियों में शतक नहीं बनाया है और भारत इसका फायदा उठाना चाहेगा. पिछली दो सीरीजों में कुक ने भारत के खिलाफ आठ टेस्ट में 910 रन बनाये. इस समय वह रन भी नहीं बना पा रहे और उनकी कप्तानी की भी आलोचना हो रही है. वहीं पीटरसन ने 2011 की श्रृंखला में 533 और 2012-13 में 338 रन जोड़े थे. उनकी टीम से रवानगी हो चुकी है. ट्रॉट के नहीं होने से इयान बेल पर भी काफी दबाव होगा.