माउंगानुइ : भारत ने ऑस्ट्रेलिया को आठ विकेट से हराकर रिकार्ड चौथी बार अंडर 19 विश्व कप जीत लिया है. भारत की जीत में खिलाडियों की चर्चा तो हो रही है, लकिन उससे अधिक चर्चा में ‘गुरू’ राहुल द्रविड़ हैं.
भारत की जीत को द्रविड के कोचिंग कैरियर की सबसे बड़ी कामयाबी से नवाजा जा रहा है. आइये जानते हैं टीम इंडिया की जीत के पांच बड़े कारण.
1. भारतीय गेंदबाजों का शानदार प्रदर्शनभारत की जीत में सबसे बड़ी भूमिका – भारतीय गेंदबाजों की रही है. गेंदबाजों ने उम्दा प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया को 216 रन पर आउट कर दिया. हालांकि पहले पांच ओवर भारतीय गेंबदाजों को एक भी सफलता नहीं मिली थी, लेकिन उसके बाद शानदार वापसी करते हुए भारत के गेंदबाजों ने कंगारुओं पर दबाव बनाये रखा.
भारत के 4 गेंदबाज ईशान पोरेल, शिवा सिंह, अनुकूल रॉय और कमलेश नागरकोटी ने दो दो विकट लिये. जबकि शिवम मावी को एक विकेट मिला.
2. मनजोत कालरा का शानदार शतक – भारत की जीत में दूसरी बड़ी भूमिका मनजोत कारला की रही है. कालरा ने आज शानदार शतक जमाया. मनजोत ने 102 गेंद पर आठ चौकों और तीन छक्कों की मदद से 101 रन की शानदार पारी खेली. शानदार पारी के लिए मनजोत को मैन ऑफ द मैच से भी नवाजा गया. शतक के साथ ही मनजोत ने एक अनोखा रिकार्ड भी अपने नाम कर लिया. मनजोत 19 वर्ल्डकप टूर्नामेंट के फाइनल में शतक बनाने वाले भारत के दूसरे खिलाड़ी बन गये हैं.
3. भारत की मजबूत बल्लेबाजी – भारत की धमाकेदार जीत में भारत की बल्लेबाजी ने भी बड़ी भूमिका निभायी. भारत ने पहले 10 ओवर तक कोई भी विकट नहीं खोया. उसके बाद कप्तान पृथ्वी शॉ के आउट होने के बाद भी टीम दबाव में नहीं आयी, बल्कि मनजोत और उपकप्तान शुभमन गिल ने धमाकेदार खेल का प्रदर्शन जारी रखा. भारत का विकेट 22 वें ओवर में गिरा. इसके बाद आखिर तक भारत ने अपना विकेट नहीं खोया और 38 ओवर और 5 गेंद पर मैच जीत लिया.
4. ऑस्ट्रेलिया का कमजोर प्रदर्शन – भारतीय टीम की जीत में सबसे बड़ी भूमिका कंगारुओं का खराब पद्रशर्न रहा है. कंगारु खिलाड़ी आज खेल के सभी विभाग में खराब प्रदर्शन दिखाया. जोनाथन मेरलो (76) को छोड़ कर कोई भी बल्लेबाज भारतीय गेंदबाजों के आगे नहीं टीके और लगातार अंतराल पर अपना विकेट गंवाते रहे. इसके अलावा जब टीम इंडिया बल्लेबाजी करने उतरी तो ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज बेवस नजर आये. दो विकेट के बाद कंगारु गेंदबाजों को विकेट नहीं मिला.
5. कोच राहुल द्रविड हैं जीत के असली हीरो – मैदान पर भले ही टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया से टक्कर ले रही थी, लेकिन उसके पीछे कोच राहुल द्रविड का मेहनत छुपा था. राहुल लगातार टीम के प्रदर्शन पर नजर बनाये हुए थे. द्रविड अपनी टीम में हमेशा ऊर्जा भरते रहे हैं.
आधुनिक क्रिकेट के सबसे जेंटलमैन खिलाड़ी राहुल द्रविड़ के करियर की एक बड़ी कमी आज दूर हो गई. यह कमी थी एक अदद विश्वकप ट्राफी जीतने की. द्रविड़ अपने सफल-सुनहरे कैरियर में भले ही यह सपना पूरा नहीं कर पाए लेकिन उनके शिष्यों ने अंडर 19 विश्वकप जीतकर यह ट्राफी आज ‘गुरूदक्षिणा’ के रूप में उनकी झोली में डाल दी.
क्रिकेट की दुनिया में ‘श्रीमान भरोसेमंद’, ‘संकटमोचक’ और ‘भारत की दीवार’ जैसे कई विशेषणों के बावजूद द्रविड़ अब तक किसी विश्वकप विजेता टीम का हिस्सा नहीं रहे थे. लेकिन आज भारत के जिन युवाओं ने अंडर 19 विश्वकप जीता उसके गुरु यानी कोच राहुल द्रविड़ हैं. दरअसल भारतीय क्रिकेट की अगली नस्ल को तैयार करने की जिम्मेदारी उठाने वाले द्रविड़ ने सितारों की फौज में नहीं बल्कि टीमवर्क में भरोसा रखने वाली एकादश बनाई है और इसकी बानगी अंडर 19 विश्व कप में देखने को मिली.
यह द्रविड़ का ही जज्बा था कि टूर्नामेंट के दौरान बेंगलूरू में आईपीएल की नीलामी हुई लेकिन अपनी युवा ब्रिगेड का ध्यान उन्होंने भटकने नहीं दिया. उन्होंने सिर्फ इतना कहा,‘आईपीएल नीलामी हर साल होगी लेकिन देश के लिये विश्व कप खेलने का मौका बार बार नहीं मिलेगा.’ इसके बाद जो हुआ , वह अब इतिहास है.
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