Chhath Puja 2022: आस्था का महापर्व छठ के चार दिवसीय इस अनुष्ठान के तीसरे दिन यानी 30 अक्टूबर को भगवान भास्कर को संध्या में पहला अर्घ्य अर्पित किया जाएगा, जबकि 31 अक्टूबर को छठ व्रती सूर्योदय के समय भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगी. जिसके बाद पारण के साथ छठ महापर्व का समापन किया जाएगा.
छठ पूजा का अंतिम और आखिरी दिन ऊषा अर्घ्य होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. जिसके बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उदितनारायण सूर्य को अर्घ्य देती हैं और सूर्य भगवान और छठी मैया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं. इस पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध, जल और प्रसाद से व्रत का पारण करती हैं.
1. सूर्य देव को अर्घ्य देते समय अपना चेहरा पूर्व दिशा की ओर ही रखें
2. सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए हमेशा तांबे के लोटे का प्रयोग करें.
3. सूर्य देव को अर्घ्य देते समय जल के पात्र को हमेशा दोनों हाथों से पकड़े.
4. सूर्य को अर्घ्य देते समय पानी की धार पर पड़ रही किरणों को देखना शुभ माना जाता है.
5. अर्घ्य देते समय पात्र में अक्षत और लाल रंग का फूल जरूर डालें.
1. सूर्य देव को अर्घ्य देते समय अपना चेहरा पूर्व दिशा की ओर ही रखें
2. सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए हमेशा तांबे के लोटे का प्रयोग करें.
3. सूर्य देव को अर्घ्य देते समय जल के पात्र को हमेशा दोनों हाथों से पकड़े.
4. सूर्य को अर्घ्य देते समय पानी की धार पर पड़ रही किरणों को देखना शुभ माना जाता है.
5. अर्घ्य देते समय पात्र में अक्षत और लाल रंग का फूल जरूर डालें.
छठ पूजा का अंतिम और आखिरी दिन ऊषा अर्घ्य होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. जिसके बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उदितनारायण सूर्य को अर्घ्य देती हैं और सूर्य भगवान और छठी मैया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं. इस पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध, जल और प्रसाद से व्रत का पारण करती हैं.
सूर्योपासना का यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है. इस वर्ष छठ पर्व की शुरुआत शुक्रवार को स्नान यानी नहाय-खाय के साथ हुई. इसके बाद शनिवार को व्रतियों ने ‘खरना’ का प्रसाद ग्रहण किया. ‘खरना’ के दिन व्रती उपवास कर शाम को स्नान के बाद विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसी के साथ व्रती महिलाओं का दो दिवसीय निर्जला उपवास के साथ संध्या अर्घ्य और अगले दिन ऊषा अर्घ्य के बाद पारण के साथ छठ महापर्व का समापन हो जाएगा.
31 अक्टूबर को झारखंड का अधिकतम तापमान 27 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है, जबकि न्यूनतम तापमान 13 से 18 डिग्री सेंटीग्रेड रह सकता है. राजधानी रांची में छठ के दो दिनों में अधिकतम तापमान 27 से 29 डिग्री के बीच रह सकता है, जबकि न्यूनतम तापमान 14 से 16 डिग्री के बीच रहने का अनुमान है. हालांकि, इन दोनों दिनों में रांची में भी सुबह में कोहरा छाये रहने की बात मौसम विभाग ने कही है.
दिल्ली में चौथे दिन सोमवार को सूर्योदय का समय- सुबह 6 बजकर 30 मिनट
पटना में चौथे दिन सोमवार को सूर्योदय का समय- सुबह 5 बजकर 55 मिनट
आगरा में चौथे दिन सोमवार को सूर्योदय का समय- सुबह 6 बजकर 25 मिनट
गोरखपुर में चौथे दिन सोमवार को सूर्योदय का समय- सुबह 6 बजकर 3 मिनट
इंदौर में चौथे दिन सोमवार को सूर्योदय का समय- सुबह 6 बजकर 29 मिनट
लखनऊ में चौथे दिन सोमवार को सूर्योदय का समय- सुबह 6 बजकर 13 मिनट
गाजियाबाद में चौथे दिन सोमवार को सूर्योदय का समय- सुबह 6 बजकर 30 मिनट
चौथे अर्थात अंतिम दिन, सुबह उदियमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्योदय से पहिले ही व्रती-जन घाट पर उगते सूर्यदेव की पूजा हेतु सभी परिजनो के साथ पहुँचते हैं।
संध्या अर्घ्य में अर्पित पकवानों को नए पकवानों से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है, परन्तु कन्द, मूल, फलादि वही रहते हैं। सभी नियम-विधान सांध्य अर्घ्य के समान ही किए जाते हैं। पूजा-अर्चना समाप्तोपरान्त घाट के पूजन का विधान है।
झारखंड में छठ महापर्व की वजह से वातावरण भक्तिमय और उल्लासपूर्ण हो गया है. खरना (Chhath Puja 2022 Kharna) के अगले दिन छठव्रती 30 अक्टूबर को शाम में भगवान भास्कर को अर्घ्य (Chhath Puja 2022 Sandhya Arghya) देंगे. 31 अक्टूबर को सुबह-सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का समापन हो जायेगा. इसलिए लोग जानना चाहते हैं कि छठ के दिन मौसम कैसा रहेगा.
नहाय-खाए और लोहंडा व खरना के बाद तीसरे दिन व्रतधारियों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है. इस दिन भगवान सूर्य (Lord Surya) को चढ़ाया जाने वाला भोग बनाया जाता है. इस भोग को बनाते समय काफी साफ -सफाई का ध्यान रखा जाता है. सूर्यास्त के दौरान व्रत रखने वाले भक्त सूर्य देव की पूजा की तैयारी करते हैं और टोकरी की पूजा करते हैं.
श्रद्धालु घाट पर जाने से पहले बांस की टोकरी में पूजा की सामग्री, मौसमी फल, ठेकुआ, कसर, गन्ना आदि सामान सजाते हैं और इसके बाद घर से नंगे पैर घाट पर पहुंचते हैं. इसके बाद स्नान कर डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं. छठ (Chhath Puja) पहला ऐसा पर्व है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. बिहार (Bihar), झारखंड और यूपी के कुछ हिस्सों में मनाए जाने वाले इस पावन पर्व को बहुत ही शालीनता, सादगी और आस्था से मनाये जाने की परंपरा है.
छठ पूजा के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है. इस दौरान साफ-सुथरे और अगर मुमकिन हो को नए कपड़े पहनकर ही छठ पूजा करनी चाहिए.
छठ पर्व के दौरान व्रती को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए.
इस दौरान सात्विक भोजन ही करें और शराब का भी सेवन न करें.
जरूरतमंदों की सहायता करें.
व्रती की जितना हो सके सेवा करें. उन्हें गलती से भी परेशान न करें.
पूजन के लिए बांस के सूप का ही उपयोग करें.
छठ का प्रसाद जितना ज्यादा हो सके बनाएं और इसे अधिक से अधिक लोगों में बांटे.
छठ पूजा में खरना के दिन और संध्या अर्घ्य का प्रसाद बनाने के लिए आम की लकड़ी का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि इसे उत्तम माना जाता है. बता दें कि अलग चूल्हे और अलग स्थान पर छठ महापर्व का प्रसाद बनाया जाता है. वहीं आजकल शहरों में लोग नए चूल्हे पर घर में छठ के खरना का प्रसाद बनाते. वहां चूल्हा और आम की लकड़ी उपलब्ध नहीं हो पाती. खास ध्यान रहे कि यह प्रसाद किचन में नहीं बल्कि किसी अन्य साफ-सुथरे स्थान पर बनाई जाती है.
छठ पूजा के उपवास के दौरान खास ध्यान रखना होता है कि खरना वाले दिन घर का कोई भी सदस्य प्याज लहसन या तामसिक भोजन का सेवन ना करें. साथ ही मान्यता यह भी है कि इस दिन घर के सदस्य व्रती द्वारा दिए भोजन ग्रहण करने के बाद ही खाना खाते हैं. खरना के दिन खीर के साथ रोटी भी बनती है. जो खीर होती है वह गुड़ वाली होती है. प्रसाद में खीर और रोटी के साथ मौसमी फल और केला भी शामिल किया जाता. उसे एक साथ रखकर केले के पत्ते पर छठी माता को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. इसके बाद व्रती खुद भी इस प्रसाद को ग्रहण करके बाकी लोगों को खिलाती हैं. इसके साथ ही खरना के उपवास के दौरान छठी मैया को चढ़ने वाले पकवान यानी कि ठेकुआ, पेडुकिया और अन्य सामग्री बनाती हैं. इसे अर्घ्य देने के दौरान टोकरी में रखकर छठी मैया को चढ़ाए जाते हैं.
मौसम विभाग के मुताबिक, 30 और 31 अक्टूबर को झारखंड का अधिकतम तापमान 27 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है, जबकि न्यूनतम तापमान 13 से 18 डिग्री सेंटीग्रेड रह सकता है. राजधानी रांची में छठ के दो दिनों में अधिकतम तापमान 27 से 29 डिग्री के बीच रह सकता है, जबकि न्यूनतम तापमान 14 से 16 डिग्री के बीच रहने का अनुमान है. हालांकि, इन दोनों दिनों में रांची में भी सुबह में कोहरा छाये रहने की बात मौसम विभाग ने कही है.
रांची स्थित मौसम केंद्र (Meteorological Center Ranchi) के मुताबिक, झारखंड (Jharkhand Weather News) में 30 और 31 अक्टूबर को सुबह धुंध या कोहरा छाया रहेगा. हालांकि, बाद में आसमान साफ हो जायेगा. दिन में मौसम शुष्क रहेगा. राजधानी रांची में कल यानी 30 अक्टूबर को सूर्योदय सुबह 5 बजकर 53 मिनट पर होगा, जबकि सूर्यास्त का समय 5 बजकर 12 मिनट बताया गया है. मौसम विभाग ने बताया है कि पिछले 24 घंटे के दौरान मौसम शुष्क रहा. इस दौरान अधिकतम तापमान (Maximum Temperature in Jharkhand) चाईबासा में दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान (Minimum Temperature in Jharkhand) खूंटी का रहा.
झारखंड में छठ महापर्व की वजह से वातावरण भक्तिमय और उल्लासपूर्ण हो गया है. खरना (Chhath Puja 2022 Kharna) के अगले दिन छठव्रती 30 अक्टूबर को शाम में भगवान भास्कर को अर्घ्य (Chhath Puja 2022 Sandhya Arghya) देंगे. 31 अक्टूबर को सुबह-सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का समापन हो जायेगा. इसलिए लोग जानना चाहते हैं कि छठ के दिन मौसम कैसा रहेगा. 30 अक्टूबर को सूर्यास्त कब होगा, 31 अक्टूबर को सूर्योदय कब होगा.
सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है. विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में यह पर्व काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्र और महान योद्धा कर्ण ने की थी. मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव और छठी मईया की पूजा अर्चना करने निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है और संतान की सुख समृद्धि व दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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