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भद्रा और सूतक से सिमटा रक्षाबंधन, 11.07 से 1.52 बजे तक ही मुहूर्त शुभ

सुबह में भद्रा नक्षत्र, रात 10.52 बजे से लगेगा चंद्रग्रहण पुराणों में उल्लेखित है कि मां लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था. तब से रक्षा बंधन का त्योहार एक ऐसा मौका होता है, जब बहन जन्म जन्मांतर तक भाई की खुशी, उन्नति और लंबी आयु की कामना करते हुए उसे राखी बांधती […]

सुबह में भद्रा नक्षत्र, रात 10.52 बजे से लगेगा चंद्रग्रहण
पुराणों में उल्लेखित है कि मां लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था. तब से रक्षा बंधन का त्योहार एक ऐसा मौका होता है, जब बहन जन्म जन्मांतर तक भाई की खुशी, उन्नति और लंबी आयु की कामना करते हुए उसे राखी बांधती है.
लेकिन, भद्रा नक्षत्र और सूतक के कारण सोमवार को भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए बहन को केवल दो घंटे और 45 मिनट का समय मिलेगा. छह अगस्त से शुरू हो रहा भद्रा नक्षत्र सात अगस्त की सुबह में 11.07 बजे तक लग रहा है. भद्रा नक्षत्र के खत्म होते ही रक्षा सूत्र बांधना शुरू होगा, जो एक बज कर 52 मिनट तक ही चलेगा. रात में 10 बजकर 52 मिनट पर चंद्रग्रहण लग रहा है. इसके नौ घंटे पहले सूतक लग रहा है. इस वजह से दोपहर 1 बज कर 52 मिनट के बाद रक्षा सूत्र बांधना शुभ नहीं माना जायेगा.
90 मिनट तक चंद्रग्रहण
ज्योतिषाचार्य श्रीपति त्रिपाठी के अनुसार रात्रि 10.52 से चंद्र ग्रहण दिखना शुरू होगा, जो रात 12.22 बजे तक रहेगा.
भद्रा नक्षत्र : 11.07 बजे तक
रक्षाबंधन : 11.07 से 1.52 बजे तक
चंद्रग्रहण : रात 10.52 से 12.22 तक
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा वृक्ष सुरक्षा सप्ताह के अवसर पर बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स तथा बिहार उद्योग संघ के सहयोग से सोमवार को वृक्ष सुरक्षा दिवस मनाया जा रहा है. इस अवसर पर सुबह आठ बजे एस के पुरी पार्क में बिहार उद्योग संघ के अध्यक्ष रामलाल खेतान तथा दोपहर 11.30 बजे एसके नगर पार्क में बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष पीके अग्रवाल द्वारा वृक्ष में रक्षा सूत्र बांध कर उनकी रक्षा का संकल्प लिया जायेगा. कार्यक्रम में पर्षद के सदस्य सचिव आलोक कुमार भी उपस्थित रहेंगे.
सावन की अंतिम सोमवारी पर मंदिरों में भक्तगणों की भारी भीड़ उमड़ेगी. सर्वार्थ सिद्धि योग होने के कारण जलाभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए राजधानी के शिवालयों और बड़े मंदिरों में विशेष व्यवस्था की गयी है. मंदिरों के पट्ट सुबह पांच बजे ही खुल जायेंगे. शिवलिंग का श्रृंगार और आरती के बाद मंदिरों को आम भक्तगणों के जलाभिषेक के लिए खोल दिया जायेगा.
बोरिंग रोड शिव मंदिर के पुजारी रवींद्र द्विवेदी ने बताया कि रविवार को मंदिर परिसर की विशेष सफाई की गयी है. जलाभिषेक के लिए मंदिर आने वाले भक्तगणों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. कंकड़बाग शिव मंदिर के पुजारी गौरी शंकर पांडेय ने भी रविवार शाम से ही अंतिम सोमवारी की तैयारी शुरू करने और इसके लिए विशेष साफ-सफाई और लाइट का प्रबंध करने की बात कही. खाजपुरा शिव मंदिर, कंकड़बाग पंच मंदिर, अनिसाबाद शिवालय आदि में भी रविवार शाम से ही अंतिम सोमवारी की विशेष तैयारी होती दिखी.
शुभ होता है सर्वार्थ सिद्धि योग का समय : सर्वार्थ सिद्धि योग का समय बेहद शुभ होता है. इस समय किया गया कोई भी कार्य अपने आप में शुभ माना जाता है. इस दिन की गयी पूजा, हवन या यज्ञ का महत्व काफी अधिक होता है. 6 अगस्त को रात्रि 2.26 बजे से लेकर सात अगस्त को रात्रि 4.06 बजे तक यह योग है. इस कारण अंतिम सोमवारी पर जलाभिषेक का महत्व और बढ़ गया है. साथ ही सोमवार को ही मनाया जाने वाला रक्षा बंधन भी इस बार विशेष शुभ माना जा रहा है.
पांचवीं सोमवारी के जलाभिषेक का विशेष फल : श्री त्रयंबकेश्वर की पूजा पांचवीं सोमवार को की जाती है. वैसे साधक, जो सावन में किसी कारण सोमवारी नहीं रख पाते हैं, उन्हें पांचवीं सोमवारी करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इसमें रुद्राभिषेक, लघु रूद्री, मृत्युंजय या लघु मृत्युंजय का जाप करना चाहिए .
ऐसे करें शिव की पूजा : भगवान शिव का ध्यान कर तांबे के बर्तन से शिवलिंग को जल और फिर गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराएं. इनके मिश्रण से बनने वाले पंचामृत से भी स्नान करा सकते हैं. उसके बाद मौली, जनेऊ, वस्त्र आदि चढ़ायें. उसके बाद इत्र, पुष्प माला व बेलपत्र चढ़ाएं. भगवान शिव को सफेद रंग अति प्रिय है. इसलिए आंक और धतूरा का फूल चढ़ायें. पारिवारिक कलह से मुक्ति के लिए पीला कनैल का फूल चढ़ायें. इसके बाद धूप, दीप जलायें. फिर फल, मिठाई आदि अर्पित कर भोग लगाएं. अंत में पान नारियल और दक्षिणा चढ़ायें.
फुलेश्वर महादेव पर कांवरिया श्रद्धालुओं ने किया जलार्पण
पटना. सावन के अंतिम सोमवारी के अवसर पर करीब 250 शिवभक्तों ने भद्रा घाट से कांवर में गंगाजल भरा और बैंक रोड स्थित दादी मां मंदिर परिसर में बने महादेव मंदिर में लाकर महादेव पर अर्पित किया. 250 के करीब कांवरियों का जत्त्था सुबह छह बजे भद्रा घाट पहुंच गया.
भ्रदाघाट पर कांवरियों द्वारा गंगा की विशेष आरती की गयी. उसके बाद कांवरिये बोलबम का जयकारा लगाते हुए फुलेश्वर महादेव मंदिर की ओर बढ़े. उनका जत्था सुबह आठ बजे फुलेश्वर मंदिर पहुंचा. कांवरियों ने वहां विशेष रूप से सजाये गये महादेव पर जलार्पण किया. साथ ही, वहां भजन कीर्तन भी किया. उसके बाद कांवरिये व उपस्थित अन्य भक्तजनो को भंडार प्रसाद कराया गया. कार्यक्रम को सफल बनाने में अमर अग्रवाल, संजय लाट, नरेंद्र शर्मा, निर्मल अग्रवाल आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

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