अधिकतर अभिभावक एवं विद्यार्थी पढ़ाई का मतलब सिर्फ अच्छे नंबरों से परीक्षा पास होना समझते हैं. वे अजिर्त ज्ञान पर चिंतन-मनन नहीं करते हैं. इस कारण हमारे देश में नोबेल पुरस्कार पानेवाले गिने-चुने लोग ही हैं. लेकिन हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रलय, भारत सरकार द्वारा इस ओर एक कदम बढ़ाया गया है. इसके लिए हर प्रारंभिक विद्यालय में अध्ययनरत कक्षा-8 के एक छात्र/छात्र को इंस्पायर्ड एवार्ड स्कीम के तहत जीवनोपयोगी/समाजोपयोगी मॉडल बनाने हेतु राशि दी जाती है.
इसके द्वारा सर्वश्रेष्ठ मॉडल को चुन कर उसे पुरस्कृत किया जाता है. इस स्कीम से बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा के साथ कुछ नया करने का जज्बा पैदा किया जा रहा है, जो सरकार का सराहनीय कदम है. पाठ्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ परीक्षा पास करना न हो, व्यावहारिक जीवन में इसे लागू भी किया जाये.
संजय चांद, हजारीबाग