28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जिम्मेवार हम होंगे

कुछ दिनों पहले ‘जल है तो कल है’ जैसे जुमले लोगों की जुबान पर थे, इससे पहले जल की चिंता ही किसे थी! देश में सूखा क्या पड़ा, जल संरक्षण की चर्चाएं जैसे आम हो गयीं. वैसे इस बहुमूल्य संपदा को समेटना आसान नहीं, मगर ईमानदार प्रयास तो हो ही सकते हैं. इसी सोच में […]

कुछ दिनों पहले ‘जल है तो कल है’ जैसे जुमले लोगों की जुबान पर थे, इससे पहले जल की चिंता ही किसे थी! देश में सूखा क्या पड़ा, जल संरक्षण की चर्चाएं जैसे आम हो गयीं. वैसे इस बहुमूल्य संपदा को समेटना आसान नहीं, मगर ईमानदार प्रयास तो हो ही सकते हैं. इसी सोच में मानसून आ गया और पानी बचाने की जगह घर बचाने की चिंता सताने लगी़ सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारी जिंदगी के अहम पहलू बन गये हैं.
सूखे और बाढ़ के किस्से जितने पुराने हैं, हमारी सरकारों की बेफिक्री की कहानियां भी उतनी ही पुरानी हैं. उफनती नदियों को कौन कहे, नाली-नालों को भी व्यवस्थित करने में हमारी सरकारें अब तक नाकाम रही हैं. मुश्किलों में हम जहां सरकारों के भरोसे होते हैं, सरकारें राहत कोष के भरोसे ही राहत महसूस करती हैं. मुआवजा किसी शक्ल में हो, विनाश का विकल्प नहीं हो सकता. फौरी राहत जरूरी है मगर बचाव के तरीकों की अनदेखी विभीषिकाओं को आमंत्रित करती रहेगी, जिसके जिम्मेवार हम होंगे.
एमके मिश्रा, रातू, रांची

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें