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‘आप’ तो ऐसे न थे केजरीवाल जी!

।। रजनीश आनंद।। (प्रभात खबर.कॉम) क्या ‘आप’ आइटम गर्ल है?- यह सवाल मेरे जेहन में आइटम गर्ल की तरह नाच रहा है. मैंने कुछ दिन पहले टीवी पर सुना कि आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ को सबसे घटिया आइटम गर्ल की उपमा दी गयी है. यह बात ज्यादा मायने नहीं रखती है कि यह उपमा […]

।। रजनीश आनंद।।

(प्रभात खबर.कॉम)

क्या ‘आप’ आइटम गर्ल है?- यह सवाल मेरे जेहन में आइटम गर्ल की तरह नाच रहा है. मैंने कुछ दिन पहले टीवी पर सुना कि आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ को सबसे घटिया आइटम गर्ल की उपमा दी गयी है. यह बात ज्यादा मायने नहीं रखती है कि यह उपमा दी किसने, यहां तो गौर करने की बात यह है कि आखिर ऐसी नौबत क्यों आयी? ‘आप’ के साथ तुलना से राखी सावंत बेहद नाराज हैं.

उनका कहना है कि वह भले ही आइटम क्वीन हैं, पर अरविंद केजरीवाल से बेहतर सरकार चला सकती हैं. मैडम सावंत का यह आत्मविश्वास देख मैं हैरान थी. उन्होंने दलील दी,जब एक चायवाला प्रधानमंत्री बन सकता है, तो मैं क्यों नहीं? मैं बेस्ट आइटम गर्ल हूं और यह मुकाम मैंने काफी मेहनत से पाया है. मैं ‘आप’ को लेकर अपने ख्यालों में डूबी घरेलू कामकाज निबटा रही थी, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. मैंने दरवाजा खोला. सामने मेरे परम मित्र शर्माजी खड़े थे.

उन्हें देखते ही मेरे मुख से निकल पड़ा, ‘‘अरे आप?’’ मेरे इतना कहते ही शर्माजी बोल पड़े, ‘‘मुझे ‘आप’ ना कहें, तो बेहतर होगा.’’ मैं चौंक गयी. उनकी अप्रसन्नता को भांपते हुए मैंने पूछा, ‘‘आखिर मैंने ऐसा क्या कह दिया.’’ इस पर शर्माजी ने उत्तर दिया, ‘‘अरे मोहतरमा अब तो स्थिति यह हो गयी है कि कोई बच्चा भी मुझे ‘आप’ कह कर संबोधित करता है, तो मालूम होता है कि वह मेरी बेइज्जती कर रहा है. इन टोपीवालों ने हमारी भाषा के सम्मानसूचक शब्द ‘आप’ का कचरा कर दिया. अब तो आप शब्द सुनते ही राखी सावंत का चेहरा सामने आ जाता है.’’ मैंने चाय का प्याला उन्हें थमाते हुए कहा, ‘‘शर्माजी, आपके लिए तो यह खुशखबरी होगी, क्योंकि ‘आप’ की भद्द पिटने से आप कांग्रेसियों को तो फायदा ही होनेवाला है.’’

मेरी बात सुनते ही उनके चेहरे पर मुस्कान थिरक गयी. उन्होंने कहा, ‘‘देखिए मैडम, मैंने तो पहले ही आपसे कहा था कि इन टोपीवालों को हम जल्दी ही निबटा देंगे. अरे भाई चुनाव जीतना और सरकार चलाना हर किसी के बस की बात नहीं है. हर बात पर अगर धरना-प्रदर्शन से हल निकलता, तो साम-दाम-दंड-भेद की क्या जरूरत थी. अब तो जनता का भी इनसे मोहभंग होने लगा है. वह भी हमारी वजह से नहीं. हम तो अपना समर्थन जारी रखे हुए हैं, सरकार को परेशान भी नहीं कर रहे हैं और आगे जो भी करेंगे जनता की राय लेकर ही करेंगे. इसलिए हमें तो दोष मत ही दीजिए.’’

शर्माजी की खुशी मैं समझ रही थी, लेकिन मैं यह नहीं समझ पा रही थी कि आखिर लाखों लोगों को उम्मीद की रोशनी दिखाने के बाद क्यों आम आदमी पार्टी ऐसी हरकतें कर रही है, ताकि उसकी भद्द पिट जाये? हमारे जैसे पत्रकारों ने भी ‘आप’ से काफी आस लगा ली थी, लेकिन अब तो यही कहने का मन कर रहा कि ‘आप’ तो ऐसे न थे..

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