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बेलगाम मुकाबला बना अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की राजनीति तेजी से एक बेलगाम मुकाबला हो गयी है. यहां कोई किसी का लिहाज नहीं कर रहा़ ऐसा लगता है कि ‘प्यार और जंग में सब कुछ जायज है’ वाली कहावत पर यहां पूरी तरह अमल किया जा रहा है. राष्ट्रपति पद का मुकाबला दोनों प्रत्याशियों की सेनाओं के बीच एक-दूसरे […]
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की राजनीति तेजी से एक बेलगाम मुकाबला हो गयी है. यहां कोई किसी का लिहाज नहीं कर रहा़ ऐसा लगता है कि ‘प्यार और जंग में सब कुछ जायज है’ वाली कहावत पर यहां पूरी तरह अमल किया जा रहा है. राष्ट्रपति पद का मुकाबला दोनों प्रत्याशियों की सेनाओं के बीच एक-दूसरे को पटखनी देने की दिमागी लड़ाई बन जाता है, जहां हर प्रत्याशी का यही लक्ष्य होता है कि दूसरे को धूल कैसे चटायी जाये.
इस प्रक्रिया में किसी को भी बख्शा नहीं जाता है और न ही कोई दया की अपेक्षा करता है. यहां कोई नियम नहीं चलता. लेकिन इस बार डोनाल्ड ट्रम्प ने जिन तौर-तरीकों के बल पर रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल की है, उससे लगता है कि उन्होंने चुनावी व्यूह रचना को पहले ही नये सिरे से परिभाषित कर दिया है. भाषणों में उनके तेवर निराले हैं.
यही वजह है कि इस बार दुनिया बड़े कौतुक और बेचैनी के साथ ट्रम्प के अभियान में हिलेरी क्लिंटनकी जड़ें खोदने का प्रयास होते देख रही है. इधर, 68 वर्षीय हिलेरी के स्वास्थ्य को लेकर अभी से फुसफुसाहट शुरू हो गयी है. इन सबसे डोनाल्ड ट्रम्प का पलड़ा भारी नजर आता है, लेकिन वास्तविक स्थिति तो नवंबर में चुनाव परिणाम आने के बाद ही साफ हाे सकेगी़
संतोष मजूमदार, जमशेदपुर
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