अन्ना आंदोलन का सत्ता और संसद में बैठे कुछ मलाईमार लालू जैसे नेता बड़े ही बेहूदे और भद्दे मजाक उड़ा रहे थे. यही नहीं, कुछ लोग तो अन्ना पर ही तरह-तरह के घटिया आरोप लगा कर कीचड़ उछाल रहे थे. अन्ना के उसी आंदोलन से निकली चिंगारी से फैली आग में ये बेचारे खुद अब बुरी तरह झुलसने लगे हैं और अपनी जान बचाने के लिए अब इसे शांत करने में लगे हैं.
मुद्दत से ठंडे बस्ते में पड़े लोकपाल को जो इन्होंने इतनी जल्दी मिनटों में पास कर डाला है, किसी से छुपा नहीं है. मजे की बात यह है कि आज खुद राहुल गांधी भी भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने के भाषण देने लगे हैं. यह सच है कि बिना दबाव के कभी रस नहीं निकलता. आज देश के हालात एक दम बदल चुके हैं और अब इस विशाल जनजागृति से शायद यह दीपक सूर्य बनने जा रहा है, जो एक ऐतिहासिक मिसाल होगा.
आर्यवेद प्रकाश, ई-मेल से