काफी दिनों से बहस की जा रही है कि देश में असहिष्णुता का माहौल है. इसलिए कई साहित्यकारों ने अपना सम्मान लौटा दिया है. इधर, आमिर खान द्वारा घर की बात को सार्वजनिक करने के बाद देश की राजनीति में बवंडर खड़ा हो जाता है.
इन सबने असहिष्णुता को धर्मनिरपेक्षता से जोड़ कर परिभाषित करने की कोशिश की है, लेकिन धर्मनिरपेक्षता और असहिष्णुता दोनों अलग-अलग चीजें हैं. हालांकि, देश में पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में भी इस प्रकार की अनेक घटनाएं हुईं, जिससे देश के लोगों की भावनाएं आहत हुईं. उस समय तो असहिष्णुता और सहिष्णुता की बात नहीं की गयी. इससे यह भी साबित होता है कि हमारे देश में घटनाएं होती हैं, लेकिन उसे राजनीति में किस नजरिये से पेश किया जाता है.
– शीला प्रसाद, रांची