अप्रैल 2015 में गुमला से नक्सलियों द्वारा अपहृत 35 बच्चों के मामले सरकार अब भी उदासीन है. मामले में अब तक ना तो कोई जरूरी कदम उठाया गया और ना ही किसी बुद्धिजीवी ने बातचीत के जरिये हल करने का प्रयास किया. ऐसे मामलों में नक्सलियों से बातचीत कर समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया जाये, तो बेहतर होगा. बातचीत ही ऐसा रास्ता है, िजससे सारी समस्याओं का हल शांतिपूर्ण तरीके से निकाला जा सकता है.
मेरी समझ से ऐसे मामलों में सिर्फ सरकार और नक्सली बंधुओं को आपसी तालमेल करने की जरूरत है. मामले में नक्सली बंधुओं को भी बातचीत के लिए आगे आना चाहिए, ताकि उनकी मांगों से सरकार अवगत हो सके. संभव है कि कोई एक पक्ष दूसरे पक्ष की बातों को न माने. फिर भी मुख्यमंत्री को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
– दीपक प्रसाद कुशवाहा, हजारीबाग