।।सुरेंद्र किशोर।।
(वरिष्ठ पत्रकार)
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री गुरनाम सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहन कुमारमंगलम में क्या समानता है? और कुछ नहीं, बस यही कि वे एक ही विमान दुर्घटना में मारे गये थे. वह दुर्घटना दिल्ली के पास 40 साल पहले हुई थी. उस दर्दनाक दुर्घटना में सिर्फ राष्ट्रीय जीवन की इन्हीं दो अग्रणी हस्तियों की ही जानें नहीं गयीं, बल्कि मजदूर नेता सतीश लुंबा, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ गणोश नटराजन, टाइम्स ऑफ इंडिया के विशेष संवाददाता केएस रामास्वामी भी मारे गये. यह हादसा 31 मई, 1973 को हुआ था.
इंडियन एयरलाइंस का बोइंग-737 विमान मद्रास से दिल्ली आ रहा था कि वह दिल्ली के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया. उस विमान में कुल 65 लोग सवार थे. उनमें से 48 लोगों को बचाया नहीं जा सका. दुर्घटना में बाल-बाल बच जानेवालों में कृषि व बिजली उप मंत्री बाल गोविंद वर्मा भी थे. दुर्घटना के कुछ समय पहले वह विमान में कुमारमंगलम के साथ ही आगे की सीट पर बैठे थे. पर यह कह कर वे पीछे जा बैठे थे कि अब वहां टांगें पसार कर बैठूंगा. दुर्घटना के बाद जांच से पता चला कि पायलट की गलती से वह दुर्घटना हुई थी.
1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विभाजन के बाद से मोहन कुमारमंगलम कांग्रेस पार्टी में चले गये थे. कुमारमंगलम के निधन से अन्य लोगों के अलावा इंदिरा गांधी को काफी सदमा लगा था. मोहन का पूरा नाम सुरेंद्र मोहन कुमारमंगलम था. पर उनके करीबी उन्हें प्यार से मोहन ही कहते थे. कुमारमंगलम तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा जी के ऐसे कठिन समय में सलाहकार थे, जब वह कांग्रेस पार्टी के अंदर के दक्षिणपंथी तत्वों से लड़ रही थीं. बाहर से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भीतर से मोहन उनके मददगार थे. संयोग ही था कि दुर्घटना में दोनों पायलट बच गये, पर तीनों विमान परिचारिकाओं की मृत्यु हो गयी थी. दिल्ली के पास जमीन से टकराने के कारण विमान में आग लग गयी. एक या दो यात्रियों ने अपने सहयात्री को विमान से नीचे फेंक दिया और कुछ खुद कूद पड़े. इससे उनकी जानें बच गयीं.
गुरनाम सिंह पंजाब हाइकोर्ट में जज थे. बाद में वे अकाली दल में शामिल हो गये. 1967 में वे पंजाब के मुख्यमंत्री बने. बाद में भी वे एक बार फिर मुख्यमंत्री बने थे. उनकी पंजाब में बड़ी इज्जत थी. उन्हें हिंदू-सिख एकता की नींव रखने का श्रेय मिलता है. दुर्घटना के समय गुरनाम सिंह ऑस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त थे. सांसद जयलक्ष्मी दिल्ली में उतरने की तैयारी कर ही रही थीं कि विमान के जमीन के टकराने की आवाज आयी. वह सिर्फ घायल व बेहोश ही हुई थीं.
कुमारमंगलम की मृत्यु के कारण इस विमान दुर्घटना की बड़ी चर्चा थी. पूर्व कम्युनिस्ट सदस्य मोहन के विचारों से जो लोग सहमत नहीं थे, वे भी उनकी तेजस्विता और विनम्रता के कायल थे. वह उन दिनों इंदिरा गांधी की नीतियों को वामपंथी मोड़ दे रहे थे, ऐसी चर्चा थी. असामयिक निधन के समय उनकी उम्र सिर्फ 56 साल थी. उनकी शादी पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री अजय मुखर्जी के परिवार में हुई थी. कुमारमंगलम दक्षिण भारत के एक राजनीतिक परिवार से आते थे. उनके पिता डॉ पी सुब्बारायन निष्ठावान कांग्रेसी थे, जबकि मोहन निष्ठावान कम्युनिस्ट. सुब्बारायन 1925-26 में मद्रास के मुख्यमंत्री थे. कुमारमंगलम का कम्युनिस्ट पार्टी पर भी प्रभाव था. सरदार पटेल ने सुब्बारायन को पत्र लिख कर यह सलाह दी थी कि वह कम्युनिस्ट पार्टी के दृष्टिकोण को बदलने में अपने पुत्र मोहन कुमारमंगलम की सहायता लें. लेकिन बाद में खुद कुमारमंगलम कांग्रेस में शामिल हो गये.
हालांकि कुमारमंगलम ने कांग्रेस में जाने के बावजूद अपनी बुनियादी निष्ठाएं नहीं छोड़ी थीं. कुमारमंगलम कम्युनिस्टों के संपर्क में तभी आ गये थे जब वे लंदन में पढ़ रहे थे. पहले कुमारमंगलम इंडियन एयरलाइंस कॉरपोरेशन के अध्यक्ष बनाये गये थे. उन्होंने विमान सेवा के कायाकल्प के लिए काफी प्रयास किया. यह विडंबना ही है कि विमान दुर्घटना में खुद उनकी जान चली गयी. कुमारमंगलम के बड़े भाई पीपी कुमारमंगलम भारतीय सेना के प्रधान रह चुके थे. उनकी बहन पार्वती कृष्णन कम्युनिस्ट पार्टी की नेता थीं और सांसद भी रही थीं. उनके पति एमके कृष्णन कम्युनिस्ट नेता थे. उनके पुत्र पीआर कुमारमंगलम भी केंद्र में नरसिंह राव और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकारों में मंत्री थे. पहले वे कांग्रेस में थे और बाद में भाजपा में शामिल हो गये थे.