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बिल पर हंगामा क्यों?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने जनलोकपाल बिल पास कर दिया है. जब इस बिल को सदन में नहीं लाया जा रहा था, तब भी विरोधी मुखर थे. कहा जा रहा था कि जिसकी बदौलत पार्टी ने सरकार बनायी, उसी मुद्दे को दबाये बैठी है. अब जबकि उसे पास कर दिया गया है, तो उसके प्रावधानों […]
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने जनलोकपाल बिल पास कर दिया है. जब इस बिल को सदन में नहीं लाया जा रहा था, तब भी विरोधी मुखर थे. कहा जा रहा था कि जिसकी बदौलत पार्टी ने सरकार बनायी, उसी मुद्दे को दबाये बैठी है.
अब जबकि उसे पास कर दिया गया है, तो उसके प्रावधानों को लेकर आलोचनाएं की जा रही हैं. हां, इस मामले में प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के विरोध को कुछ हद तक जायज कहा जा सकता है. ध्यान देनेवाली बात है कि संसद में दिसंबर, 2013 में पेश लोकपाल बिल अब तक स्थायी समिति के पास धूल फांक रही है.
इस मसले पर कोई भी दल कटाक्ष नहीं कर रहा और न ही सरकार का ध्यान आकृष्ट कर रहा है. अगर आलोचना करनी है, तो केंद्र सरकार की भी की जाये, अन्यथा बेकार का हंगामा करने से क्या फायदा?
– जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी
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