बाघमारा के झाविमो विधायक ढुल्लू महतो इलाज के लिए पुलिस कस्टडी में दिल्ली भेजे गये थे. इलाज हुआ कि नहीं, यह तो पता नहीं, पर वह दिल्ली में एक पार्टी में शामिल हुए. पुलिस पर हमला करने के आरोपी ढुल्लू महतो न्यायिक हिरासत में जेल में बंद थे. उन्होंने तबीयत खराब होने की शिकायत की. उन्हें एम्स रेफर किया गया. वह दिल्ली ले जाये गये, जहां वह झारखंड भवन में एक पार्टी में शामिल हुए.
कांग्रेस के नेता आस्कर फर्नाडीज और आरके आनंद के साथ वहां बैठे, बात की. खुले आम घूमते रहे. जब एम्स रेफर किया गया, तो फिर वह झारखंड भवन क्यों गये? यह कानून का उल्लंघन है. उनके साथ पुलिसकर्मियों को इसलिए भेजा गया था, ताकि विधायक मनमानी नहीं करें. कहीं भाग न जायें. जब एम्स की जगह ढुल्लू महतो झारखंड भवन जा रहे थे, तो पुलिसकर्मियों को उन्हें रोकना चाहिए था. इस घटना से साबित हो गया है कि कैसे यहां सिस्टम ध्वस्त है. इसके पहले रिम्स में भरती एक व्यक्ति रोज देर रात वहां से निकल जाते थे. रात भर घर में रहते. सुबह फिर रिम्स में लौट आते थे.
यह बिना पुलिस की मिलीभगत के नहीं हो सकता. ऐसी घटनाओं का गहरा असर पड़ता है. पहले से ही यह धारणा बनी है कि कोई बड़ा राजनीतिज्ञ अगर जेल जाता है, तो उसकी तबीयत बिगड़नी है, रिम्स के कॉटेज में रहना है या फिर इलाज के लिए दिल्ली जाना है. ढुल्लू महतो की घटना से इस धारणा की पुष्टि होती है. अभी जगन्नाथ मिश्र इलाज के लिए रिम्स में हैं. झारखंड के जो पूर्व मंत्री जेल में बंद थे, उनका अधिकांश समय रिम्स के काटेज में बीता. ये लोग इतने शक्तिशाली हैं कि मेडिकल बोर्ड भी सच लिखने से बचता है.
बाहर इलाज की अनुशंसा कर देता है. एक सामान्य कैदी बेहतर इलाज के अभाव में जेल में ही दम तोड़ देता है, पर ताकतवर राजनीतिज्ञों को छींक भी आयी तो तुरंत अस्पताल में भरती हो जाते हैं. अब अगर सच में भी किसी नेता की तबीयत जेल में बिगड़ेगी, तो जनता विश्वास नहीं करेगी. अदालत भी नेताओं के बहाने जानती है, तभी तो उसने कई बार सेना के डॉक्टरों की टीम से नेताओं के स्वास्थ्य की जांच का आदेश दिया है. इस मामले को सरकार व प्रशासन अगर गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो बदनामी तय है.