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स्कूलों पर जुर्माना कौन लगायेगा?
अभिभावकों द्वारा फीस देने में देर करने, पुनर्नामांकन फीस समय पर नहीं देने और फाइन के साथ वार्षिक शुल्क 30 मई तक न देने पर निजी स्कूल 50 से हजार रुपये तक जुर्माना लगाते हैं और नाम काट देने की धमकी देते हैं. लेकिन झारखंड में वर्ष 2010 में शिक्षा अधिकार अधिनियम के लागू होने […]
अभिभावकों द्वारा फीस देने में देर करने, पुनर्नामांकन फीस समय पर नहीं देने और फाइन के साथ वार्षिक शुल्क 30 मई तक न देने पर निजी स्कूल 50 से हजार रुपये तक जुर्माना लगाते हैं और नाम काट देने की धमकी देते हैं.
लेकिन झारखंड में वर्ष 2010 में शिक्षा अधिकार अधिनियम के लागू होने के बाद से आज तक स्कूलों ने आय-व्यय का लेखा-जोखा नहीं दिया है और न ही अपने बही-खातों का ऑडिट कराया है. उनकी इस मनमानी पर आखिर जुर्माना कौन लगायेगा, सरकार या कोई और?
जब स्कूल अभिभावकों को अपने नियमों से बांध कर उनका पालन करने के लिए बाध्य कर सकते हैं, तो फिर सरकार शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों को बांधने में विफल क्या हैं. क्यों नहीं उन पर नियमों का उल्लंघन करने पर सख्ती की जा रही है.
सत्यप्रिय अरुण, रांची
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