फिर रामराज्य का सपना दिखा कर हमें छला जायेगा. फिर वोटों के लुटेरे हमें बहला–फुसला कर हमसे वोट मांगेंगे और सच तो यह है कि उनकी चिकनी–चुपड़ी बातों में हम आ भी जायेंगे.
दशकों–सदियों से जनता को ऐसे ही धोखा दिया जा रहा है. दरअसल होता यह है कि राजनीतिज्ञ लगे रहते हैं आपसी झगड़ों में और नौकरशाही लालफीताशाही में उलझी रहती है. उन्हें इस बात की परवाह नहीं रहती कि देश की गरीब जनता दिन–ब–दिन और गरीब होती जा रही है. हमारे देश के राजनीतिज्ञ अपना वोट बनाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन जनता के लिए उनके पास समय नहीं है.
यही वजह है कि जनता के मन में राजनीतिज्ञों के प्रति आदर कम होता जा रहा है. यह सही भी है कि अगर हम उनकी उपेक्षा करना शुरू कर देंगे, उनकी रैलियों और सभाओं में शरीक नहीं होंगे, तो शायद उन नेताओं को भी अपनी गलती का एहसास होगा और शायद इससे उनमें कर्तव्यबोध जागे. तब वे हमें धोखा देने से पहले एक बार जरूर सोचेंगे. जनता से यही अपील है कि सजग रहो, नहीं तो शोषण का सिलसिला यूं ही जारी रहेगा.
।। विकास कु पाटनी ।।
(झुमरीतिलैया)