झारखंड राज्य के युवाओं ने राज्य के गठन के समय से ही सरकार से अपने बेहतर भविष्य और कैरियर के लिए काफी अपेक्षाएं पाल रखी थीं. परंतु, पूर्व में झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की कारगुजारियों तथा उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार ने यहां के युवाओं की उम्मीदों पर पानी फेर डाला. राज्य में सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हजारों युवाओं का कैरियर तबाह हो गया.
अब आयोग के प्रति युवाओं में विश्वास बढ़ा है और वे आयोग के इस भ्रष्टाचारमुक्त और विश्वासपूर्ण माहौल में अपना कैरियर संवारना चाहते हैं. लेकिन, हाल ही में जेपीएससी द्वारा प्रकाशित 5वीं सिविल सेवा परीक्षा के विज्ञापन में अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम उम्र सीमा 35 वर्ष निर्धारित की गयी है तथा इसके निर्धारण के लिए कटऑफ डेट 01/08/2009 रखी गयी है. जबकि चौथी सिविल सेवा परीक्षा में अधिकतम आयु सीमा अनारक्षित वर्ग के लिए संशोधित कर 40 वर्ष और कटऑफ डेट 01/08/2006 कर दी गयी थी. लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी राहत भ्रष्टाचार के भुक्तभोगी अभ्यर्थियों को नहीं दी गयी है.
अब जबकि 5वीं सिविल सेवा परीक्षा पुराने पैटर्न पर होनेवाली अंतिम परीक्षा मानी जा रही है, अच्छा तो यह होता कि उन भुक्तभोगी मेधावी अभ्यर्थियों, जिन्होंने अपना सर्वस्व, पूरा समय व ऊर्जा सिविल सेवा परीक्षा की तैयारियों में लगा रखा है, की पीड़ा कम करते हुए अनारक्षित वर्ग के लिए अधिकतम उम्र सीमा 40 वर्ष व कटऑफ डेट 01/08/2007 कर दी जाती और उन्हें इस परीक्षा में बैठने का अंतिम अवसर दिया जाता. क्या झारखंड राज्य के नवनियुक्त युवा मुख्यमंत्री से हम यह अपेक्षा करें कि वह हमें न्याय दिला कर हमारे डूबते कैरियर को सहारा देंगे?