* खास पत्र *
।। साईनाथ महतो ।।
छात्रों को इसके बिना छात्रवृत्ति मिलने वाली नहीं. छात्र पढ़ाई छोड़ कर आधार केंद्रों एवं बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं. अगर एक दिन में किसी का आधार कार्ड बन जाता है तो वह बहुत सौभाग्यशाली है.
कुछ लोगों का कहना है कि 9 से 10 महीने हो गये, आज तक आधार कार्ड नहीं आया. खुद मेरा आधार कार्ड 10 वें माह में बन कर आया. वैसे लोग जो सब्र नहीं कर पा रहे हैं, दोबारा आधार केंद्रों के चक्कर लगा रहे हैं और दोबारा-तिबारा आधार कार्ड हेतु नामांकन भी करवा रहे हैं. ऐसा करनेवाले लोग अनावश्यक रूप से अपना और आधार ऑपरेटरों का समय बरबाद कर रहे हैं.
लेकिन सबसे बड़ी कमी यदि है, तो वह है आधार के सॉफ्टवेयर में. पहले जिनका आधार में एक बार नामांकन हो चुका है, उन्हें दोबारा नामांकन कराने की स्थिति में मशीन क्यों नहीं पकड़ लेती है? किसी की रेटिना और उंगलियों के निशान दोबारा से सिस्टम में अपलोड होने से ‘द रेसिडेंट हैव अलरेडी एनरोल्ड फोर यूआइडी कार्ड’ इस तरह का डिस्प्ले मशीन में आना चाहिए. मगर ऐसा होता नहीं. तभी तो आदमी दोबारा-तिबारा तक नामांकन करा रहा है.
इससे जाहिर है कि आधार सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करने का काम अभी बाकी है. इसमें और काम करने की आवश्यकता है. वरना जिस आधार कार्ड को हम यूनीक मान रहे हैं, वह वास्तव में यूनीक रह नहीं पायेगा.