अप्रैल माह में आयोजित टेट परीक्षा की नियुक्ति प्रक्रिया के संदर्भ में कई वर्गो द्वारा आपत्ति जतायी जा रही है. प्राय: राज्य सरकार द्वारा जब भी कोई नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है, तो कुछ राजनीतिक तत्व स्वार्थवश अपनी रोटी सेंकने में लग जाते हैं. इसलिए राज्य सरकार द्वारा किसी भी नयी नियुक्ति प्रक्रिया को संपन्न करना टेढ़ी खीर साबित हो रही है.
कई वर्षो से उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में शिक्षकों की कमी की वजह से मैट्रिक के परिणामों पर बुरा असर पड़ रहा है. अगस्त 2012 में इसकी परीक्षा ली गयी, परंतु जीव विज्ञान का पेपर लीक होने की वजह से उक्त विषय की पुनर्परीक्षा लेने का आदेश उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया.
सभी कानूनों को ताक पर रखते हुए लगभग एक साल पूरा होने के बाद भी यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है. अब टेट परीक्षा उत्तीर्ण छात्रों का शैक्षणिक एवं टेट मेधांक के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया का विरोध किया जा रहा है. इसमें स्थानीयता प्रभावित होने की बात की जा रही है. जब राज्य के बाहर के कॉलेजों से बीएड की डिग्री लेकर स्थानीयता का दावा किया जा सकता है, तो इस नियुक्ति प्रक्रिया का विरोध कहां तक उचित है?
।। राजकुमार पंडित ।।
(रामगढ़)