इंचियोन एशियाई खेल-2014 के इस आलोक वलय में कई प्रतिस्पर्धाओं के बीच खेल प्रेमियों की निगाहें उस महामुकाबले पर टिक गयीं, जहां दो चिर-प्रतिद्वंद्वदी देश हॉकी के गोल्ड पर गोल दागने के लिए फाइनल मैच में आमने-सामने थे. जी हां, मेरा इशारा भारत और पाकिस्तान के बीच खेला जानेवाला एशियाई हॉकी का फाइनल मुकाबला था. इस बेहद रोमांचक मैच में दोनों ही टीम निर्धारित समय में कोई गोल नहीं कर सकीं. नतीजा पेनॉल्टी शूट में भारत ने एक के बाद एक लगातार चार गोल दाग कर अपने प्रतिद्वंद्वदी पाकिस्तानी टीम पर निर्णायक जीत हासिल कर यह मुकाबला 4-2 से अपने नाम कर लिया.
भारत की यह जीत एशियाई खेलों में मील का पत्थर साबित हुई. भारत एशियाई खेलों की हॉकी की प्रतियोगिता में 16 साल बाद स्वर्ण पदक हासिल किया था. यह अपने आप में देशवासियों को गौरवान्वित करनेवाली बात है. यह एक ऐसा रोमांचक पल था कि हर देशवासी उसे संजोना चाह रहा था. खिताब भिड़ंत के लिए जैसे-तैसे खेल का प्रदर्शन करते हुए हमारे खिलाड़ियों ने खुद को सेमीफाइनल तक बनाये रखा. यह उनकी सूझबूझ का ही नतीजा है कि हमारे खिलाड़ियों ने फाइनल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को गोल के लिए तरसाते हुए उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया.
कहना न होगा कि एशियाई हॉकी में दक्षिण कोरिया, मलयेशिया, भारत, पाकिस्तान जैसे देश ही इस महाद्वीप की पहचान विश्व हॉकी के फलक पर बनाते हैं. एशियाई खेल के विजेंता को ओलिंपिक 2016 में जब भारतीय हॉकी टीम उतरेगी, तो उस पर अतीत का एक मजबूत आत्मविश्वास होगा. भारतीय हॉकी टीम को इस जीत और स्वर्ण पदक हासिल करने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं.
एसआर सिंह, भवनाथपुर, गढ़वा