आगामी कुछ दिनों में झारखंड विधानसभा के चुनावों की घोषणा होने वाली है. फिर खोखले वादों के साथ नेता हमारे द्वार पर नारे लगायेंगे, आइए, हम सब मिल कर झारखंड के शहीदों के सपने पूरे करें, झारखंड निर्माण में हमारा सहयोग करें वगैरह वगैरह. जिन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए झारखंड राज्य का गठन हुआ था, वे उद्देश्य अब भी मीलों दूर हैं.
यहां के आदिवासियों का जीवनस्तर बद से बदतर होता जा रहा है, लड़कियों की तस्करी बढ़ती जा रही है. क्या वीर बिरसा, सिद्धो-कान्हो, जयपाल सिंह मुंडा आदि शहीदों के बलिदान का यही झारखंड है? नहीं मित्रों, अपने झारखंड की दुर्दशा के लिए हम समस्त झारखंडवासी जिम्मेवार हैं. हमने किसी भी दल को स्पष्ट जनादेश नहीं दिया, बदले में चुने गये प्रतिनिधियों ने मौके का फायदा उठाने का काम किया, किसी ने बाहरी-भीतरी का नारा देकर, तो किसी ने नोट के बदले वोट दे कर.
संतोष कुमार, आदित्यपुर