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बेहतरी की उम्मीद जगाता आर्थिक सर्वे

वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश 2013-14 के आर्थिक सर्वेक्षण में विकास दर के अपेक्षा से कम रहने के अनुमान के बावजूद अर्थव्यवस्था के लिए कई सकारात्मक संकेत हैं. बीते वित्त वर्ष में देश की आर्थिक स्थिति के आंकड़ों व विश्लेषण के इस महत्वपूर्ण दस्तावेज में कई ऐसे तथ्य हैं, जो हमारी आर्थिक […]

वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश 2013-14 के आर्थिक सर्वेक्षण में विकास दर के अपेक्षा से कम रहने के अनुमान के बावजूद अर्थव्यवस्था के लिए कई सकारात्मक संकेत हैं. बीते वित्त वर्ष में देश की आर्थिक स्थिति के आंकड़ों व विश्लेषण के इस महत्वपूर्ण दस्तावेज में कई ऐसे तथ्य हैं, जो हमारी आर्थिक उपलब्धियों के उदाहरण हैं.

मसलन, 2012-13 के दौरान हुए 132.43 मीट्रिक टन दूध उत्पादन के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है और यह मात्र कुल वैश्विक उत्पादन का 17 फीसदी है. दुनिया के मछली उत्पादन में 5.4 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ भारत का स्थान दूसरा है. फलों व सब्जियों के उत्पादन में भी हम दूसरे स्थान पर हैं. सर्वेक्षण के अग्रिम अनुमानों के मुताबिक, फसल वर्ष 2013-14 में खाद्यान्नों व तिलहनों के उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि की संभावना जतायी गयी है.

सेवा क्षेत्र में वृद्धि के मामले में सिर्फ चीन ही भारत से आगे है. सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में सेवा क्षेत्र का हिस्सा 57 फीसदी है. आंतरिक पर्यटन में भी वृद्धि दर्ज की गयी है. मार्च, 2013 तक जमा 292 अरब डॉलर का विदेशी विनिमय रिजर्व मार्च, 2014 में बढ़ कर 304.2 अरब डॉलर हो गया है. सर्वेक्षण के अनुसार, भारत बड़ी मात्र में विदेशी विनिमय रिजर्व रखनेवाले देशों में एक है. 2013-14 में अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 4.1 फीसदी की उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जबकि 2012-13 में इसमें 1.8 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई थी.

साथ ही व्यापार घाटे में भी लगातार कमी हो रही है. सर्वेक्षण ने अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए वित्तीय प्रक्रियाओं में सुधार के द्वारा विधिक एवं संगठनात्मक संस्थागत आधारों को मजबूत करने की बात कही है. कृषि क्षेत्र के उदारीकरण के तहत आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन और नये कानून बना कर किसानों तथा व्यापारियों को अनाज को बेचने-खरीदने की आजादी देने का प्रस्ताव है. इससे किसान और व्यापारी क्षेत्रीय स्तर के प्रतिबंधों से मुक्त होकर बेहतर लाभ कमाने की स्थिति में होंगे. हालांकि इसमें मुद्रास्फीति के संकट की गंभीरता और उसके कायम रहने के प्रति चिंता जतायी गयी है तथा इससे मुक्ति के लिए नयी सोच का आह्वान किया गया है, जिसका खुलासा जेटली के बजट में हो सकता है.

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