अंगरेजी के पुलिस शब्द को हिंदी में रूपांतरित कर कुछ इस तरह का रूप प्रदान किया गया है- पुरुषार्थी, लिप्सारहित सहयोगी. लेकिन वास्तव में व्यावहारिक रूप में हम इसका उलटा देखते हैं. भारतीय पुलिस का नाम लेने पर आम जनता के जेहन में एक नकारात्मक छवि उभरती है. अपवादों को छोड़कर पुलिस अपराधियों एवं दबंगों के साथ उलझना नहीं चाहती और सीधे-सादे लोगों को छोटी-सी भी भूल पर कानून का पाठ पढ़ाने की पूरी कोशिश करती है.
इनकी ईमानदारी का अंदाजा इसी बात से लगा लें कि ये चौक -चौराहों पर बेबस लोगों से दस-बीस रुपये वसूलने के लिए अपने डंडे की धौंस जमाने लगते हैं. कर्तव्य पालन में कोसों पीछे और अधिकार के रूप में निदरेषों पर लाठियां भांजने में ये सबसे आगे हैं. ऐसा लगता है कि पुलिस पैसे वालों की कठपुतली बन कर रह गयी है.
चंद्रिका प्र सिंह, हजारीबाग