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असली मुद्दा तो हवाई सेवा के विस्तार का

पटना एयरपोर्ट के रनवे के छोटा होने का मामला एक बार फिर गरम है. नागरिक विमानन के महानिदेशक (डीजीसीए) ने रनवे की कम लंबाई का हवाला देते हुए विमान कंपनियों को गरमी के मौसम में 20 फीसदी लोड कम करने को कहा था. डीजीसीए की नोटिस के बाद दो विमान कंपनियों ने रविवार को कई […]

पटना एयरपोर्ट के रनवे के छोटा होने का मामला एक बार फिर गरम है. नागरिक विमानन के महानिदेशक (डीजीसीए) ने रनवे की कम लंबाई का हवाला देते हुए विमान कंपनियों को गरमी के मौसम में 20 फीसदी लोड कम करने को कहा था. डीजीसीए की नोटिस के बाद दो विमान कंपनियों ने रविवार को कई यात्रियों के टिकट अंतिम समय में रद्द कर दिये.

उनमें कुछ ऐसे यात्री भी थे, जो नयी नौकरी ज्वाइन करने जा रहे थे. ऐसा नहीं है कि पटना एयरपोर्ट के रनवे के छोटा होने का मामला कोई पहली बार उजागर हुआ है. पिछले चार-पांच वर्षो से डीजीसीए बिहार सरकार को आगाह करता रहा है. विमान यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से यह उचित भी नहीं है कि छोटे रनवे पर बड़ा विमान उतरे. लेकिन, बिहार सरकार के सामने मजबूरी है कि वर्तमान एयरपोर्ट के विस्तार की गुंजाइश नहीं है और नये एयरपोर्ट के लिए जमीन का जुगाड़ सबसे बड़ी बाधा बन रही है.

दरअसल बिहार व झारखंड में एयरपोर्ट पर नागरिक सुविधाओं और नये एयरपोर्ट के निर्माण के मसले को भी पूर्वी राज्यों के अविकास के मुद्दे से जोड़ कर देखने की जरूरत है. एकीकृत बिहार (झारखंड का हिस्सा भी) में रेल, सड़क और वायुमार्ग परिवहन का विकास उस गति से नहीं हुआ, जिस तरह से विकसित राज्यों में हुआ. भविष्य की बढ़ती आबादी को सामने रख कोई कार्य योजना तैयार नहीं हुई. बिहार में पटना और झारखंड में रांची को छोड़ दिया जाये, तो कोई अन्य ऐसा शहर नहीं है, जहां से देश के दूसरे शहरों के लिए नियमित उड़ानें हों. बोधगया में एयरपोर्ट जरूर है, लेकिन वहां ज्यादातर चार्टर्ड विमान उतरते हैं.

एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने जुलाई- दिसंबर 2013 में देश भर के हवाई अड्डों पर सुविधाओं को लेकर कस्टमर सैटिसफेक्शन सर्वे कराया था. इसमें पटना एयरपोर्ट को 36वीं और रांची एयरपोर्ट को 29वीं रैंक हासिल हुई. यानी यात्री सुविधाओं के मामले में भी बिहार और झारखंड की राजधानी के एयरपोर्ट दूसरे राज्यों के छोटे शहरों के मुकाबले कहीं पीछे हैं. सुरक्षा के लिहाज से पटना एयरपोर्ट पर विमानों में यात्रियों के भार कम करने की कार्रवाई फौरी हो सकती है. लेकिन, स्थायी उपाय तो नये एयरपोर्ट का निर्माण ही है. इसके साथ ही बिहार व झारखंड के अन्य शहरों को भी हवाई सेवा से जोड़ने की पहल भी होनी चाहिए.

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