जब से देश में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का बोलबाला हुआ है, कहीं न कहीं पत्रकारिता के बुनियादी उसूल भी बदल गये हैं. आज आप ज्यादातर न्यूज चैनलों को देख लीजिए, वे किसी एक व्यक्ति के पीछे पड़ जायें, तो पूरे हिंदुस्तान की अहमियत उनके लिए धेले भर की नहीं रह जाती.
हास्यास्पद तो यह है कि मीडिया का यह वर्ग सबसे ज्यादा इस बात की शिकायत करता है कि कोई वीआइपी खुद को हीरो क्यों समझता है? अरे भाई, दिन भर यदि किसी को जबरस्ती लोगों की आंखों में घुसेड़ते रहोगे, तो वह हीरो खुद-ब-खुद बन जायेगा.
आजकल सभी खबरों को उचित स्थान देने के बजाय मीडिया वैसी खबरों को तूल देता है, जिसका कोई महत्व ही नहीं. पत्रकारिता के क्षेत्र को लोग विश्वास भरी नजरों से देखते हैं, लेकिन अगर मीडिया ही लोगों को गलत सूचनाएं देगा, तो फिर जनमानस का उस पर से भरोसा ही खत्म हो जायेगा.
राहुल मिश्र, रांची