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न घर के, न घाट के
कोल इंडिया कर्मचारियों के लिए एक अचल अंशदायी पेंशन योजना 1998 लागू है. योजना के सदस्यों की हालत ‘न घर के, न घाट के’ जैसी है. वर्ष 2007 से पहले रिटायर हुए कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन की स्थिति बड़ी खराब है. भविष्य निधि की जमा पूंजी की बैंकों ने तो हवा निकाल रखी है. […]
कोल इंडिया कर्मचारियों के लिए एक अचल अंशदायी पेंशन योजना 1998 लागू है. योजना के सदस्यों की हालत ‘न घर के, न घाट के’ जैसी है. वर्ष 2007 से पहले रिटायर हुए कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन की स्थिति बड़ी खराब है. भविष्य निधि की जमा पूंजी की बैंकों ने तो हवा निकाल रखी है.
हर छह महीने में केंद्र व राज्य सरकारों के पेंशनरों के महंगाई भत्ते में वृद्धि की घोषणा, कोल इंडिया पेंशनरों के झुर्रीदार गालों पर तमाचा जैसी लगती है. महंगाई का सामना हम भी करते हैं. महंगाई भत्ता हमें भी मिलना चाहिए. ‘वन रैंक-वन पे’ भी इसी देश में लागू है. समान वेतन-भत्ता का फैसला सुप्रीम कोर्ट का है. फिर हमारे साथ भेद-भाव क्यों है?
एमके मिश्रा, रातू, रांची
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