झारखंड अब 17 वर्ष का हो चुका है, परंतु यहां की नियुक्ति प्रक्रिया पहले 10 वर्ष में जो थी, उसी के अनुरूप है. पहले 10 वर्षों की नियुक्ति कानूनी चपेटों में है.
इनमें भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा है. झारखंड के सरकारी स्कूलों में हम किस भाषा में बच्चों को निपुण बना रहे हैं, और नियुक्ति प्रक्रिया में उस भाषा का कितना महत्व देते हैं, दोनों को देखना चाहिए. सरकारी स्कूलों में बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा नहीं के बराबर होती है. परंतु चयन परीक्षा में इस विषय से अंगरेजी में प्रश्न पूछे जाते हैं. इस तरह की चयन प्रक्रिया हमारे प्रदेश के विद्यार्थियों के लिए अनुकूल नहीं है. या तो शिक्षा में सुधार हो या फिर चयन प्रक्रिया पर खुली बहस हो. तभी कुछ समाधान निकल सकता है.
सतीश कुमार, इमेल से