नयी दिल्ली: भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने बच्चों में विटामिन डी की कमी को देखते हुए परियोजना ‘धूप’ नाम से अनोखी पहल की है जिसमें स्कूलों में बच्चों को सुबह-सुबह के बजाय 11 बजे से दोपहर एक बजे के बीच प्रार्थना के लिए जमा होने की सलाह दी गयी है. विशेषज्ञों का कहना है कि आम धारणा के विपरीत सूर्योदय के समय के बजाय सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक की धूप मानव शरीर में विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने के लिहाज से सबसे अधिक फायदेमंद होती है.
एफएसएसएआइ ने एनसीइआरटी, उत्तरी दिल्ली नगर निगम औरनयी दिल्ली नगरपालिका परिषद के स्कूलों के साथ मिलकर बच्चों के लिए यह विशेष पहल की है. इसे क्वालिटी और मैक्केन हेल्थ समूहों का सहयोग प्राप्त है. ज्यादातर भारतीयों के लिए, विटामिन डी मुख्य रूप से सूर्य के प्रकाश से प्राप्त होता है, जिसके बिना इसकी कमी हो जाती है. वैसे भी भारत के अधिकतर हिस्सों को पूरे वर्ष पर्याप्त धूप मिलती है. कुछ अध्ययनों में कहा गया है कि 90 फीसदी लड़के-लड़कियों में विटामिन डी की कमी है.
सोमवार को परियोजना ‘धूप’ की शुरुआत करते हुए एफएसएसएआइ के सीइओ पवन अग्रवाल ने कहा, परियोजना धूप की दोपहर में स्कूल असेंबली का आयोजन करने की एक अभिनव और प्रभावी अवधारणा है जो यह सुनिश्चित करने के लिए है कि स्कूल के छात्रों को सूर्य के प्रकाश के माध्यम से पर्याप्त विटामिन डी मिले.’ इस अवसर पर एंडोक्रिनोलॉजी विशेषज्ञ डॉ आरके मारवाहा ने कहा, शरीर की विटामिन डी की आवश्यकता के लगभग 90 प्रतिशत को सूर्य के प्रकाश से पूरा किया जा सकता है और केवल 10 प्रतिशत आहार के माध्यम से मिलता है. सुबह की धूप हमारीहड्डियों के लिए अच्छी होने की आम धारणा के विपरीत 11 बजे से दोपहर एक बजे तक की धूप मानव शरीर में विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने में सबसे अधिक फायदेमंद है.’

