Pahalgam Terror Attack Toolkit: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जांच की कमान संभाल रखी है. शुरुआती जांच में ही एजेंसी को कई अहम सुराग हाथ लगे हैं, जिससे यह संकेत मिल रहे हैं कि हमला कोई सामान्य वारदात नहीं थी, बल्कि पहले से सुनियोजित और संगठित साजिश का हिस्सा था. जांच में यह भी सामने आया है कि यह हमला एक खास “टूलकिट” के तहत अंजाम दिया गया, जिसे एक आतंकी संगठन की ओर से बाकायदा तैयार किया गया था.
सूत्रों के अनुसार यह टूलकिट लश्कर-ए-तैयबा की एक विंग “तहरीक-ए-पशबान” द्वारा बनाई गई थी. इस टूलकिट में हमले की पूरी रणनीति, टाइमिंग, स्थान, हथियारों की आपूर्ति से लेकर हमलावरों के बीच तालमेल तक हर पहलू का विस्तार से उल्लेख किया गया था. खास बात यह है कि इस योजना में “डेड ड्रॉप पॉलिसी” का इस्तेमाल किया गया था. यह पॉलिसी आतंकी संगठनों द्वारा अपनाई जाने वाली एक गुप्त रणनीति है, जिसके तहत आतंकियों को एक-दूसरे से मिलवाया नहीं जाता और वे आपस में अनजान रहते हैं. मिशन के दौरान ही उन्हें एक-दूसरे की भूमिका और हथियारों के ठिकानों की जानकारी मिलती है.
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इस नीति के तहत हथियारों की डिलिवरी ऐसे इलाकों में की जाती है, जहां लोगों की आवाजाही कम होती है – जैसे पार्क, कब्रिस्तान या सुनसान जगहें. हमले की योजना और निर्देश ऐसे सोशल मीडिया ऐप्स के जरिए आतंकियों तक पहुंचाई गई, जिनकी मॉनिटरिंग करना एजेंसियों के लिए मुश्किल है.
बताया जा रहा है कि हमले से पहले कुछ आतंकी इलाके में पहले से ही छिपे हुए थे, जबकि अन्य को बाद में जोड़ा गया. यह हमला कई मायनों में अलग था – इसमें न केवल टारगेट किलिंग हुई, बल्कि पहली बार धार्मिक आधार से हटकर आम पर्यटकों को भी निशाना बनाया गया. यही बात सुरक्षा एजेंसियों के लिए विशेष चिंता का विषय बन गई है.
जांच एजेंसियों का मानना है कि यह टूलकिट भविष्य में और भी हमलों की आधारशिला हो सकती है. इसी वजह से अब NIA इस नेटवर्क को तोड़ने और इसके पीछे मौजूद आतंकी मॉड्यूल तक पहुंचने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है.
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