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जानें, आय से अधिक संपत्ति मामले में कब क्या हुआ

नयी दिल्ली: आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले में ताजा यह है कि उच्चतम न्यायालय ने अन्नाद्रमुक की महासचिव वी के शशिकला को आज दोषी ठहराया. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता भी शामिल थीं. 20 साल से भी ज्यादा समय तक चले इस मुकदमे से तमिलनाडु की राजनीति दशकों तक […]

नयी दिल्ली: आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले में ताजा यह है कि उच्चतम न्यायालय ने अन्नाद्रमुक की महासचिव वी के शशिकला को आज दोषी ठहराया. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता भी शामिल थीं. 20 साल से भी ज्यादा समय तक चले इस मुकदमे से तमिलनाडु की राजनीति दशकों तक प्रभावित रही है. आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आने के बाद एक बार फिर तमिलनाडु की राजनीति दिलचस्प मोड़ पर आकर खड़ी हुई है.

14 जून, 1996: जनता पार्टी के तत्कालीन प्रमुख सुब्रमण्यम स्वामी ने जयललिता पर मामला दर्ज कराया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि 1991 से 1996 तक तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के अपने कार्यकाल में उन्होंने 66.65 करोड़ रुपये के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति एकत्र की.

7 दिसंबर, 1996: जयललिता को गिरफ्तार किया गया. अवैध संपत्ति एकत्र करने समेत कई आरोप लगाये गये.
21 अक्टूबर, 1997: आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के मामले में चेन्नई की सत्र अदालत में जयललिता और तीन अन्य के खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ.
4 जून, 1997: उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, भ्रष्टाचार की रोकथाम कानून, 1988 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया. मद्रास उच्च न्यायालय ने जयललिता की तीन याचिकाएं खारिज कीं. इन याचिकाओं में से एक में उन पर अभियोग चलाने के लिए तत्कालीन राज्यपाल एम फातिमा बीवी द्वारा दी गई मंजूरी को चुनौती दी गयी थी. मुकदमा आगे बढ़ा.अगस्त 2000 तक अभियोजन पक्ष के 250 गवाहों से पूछताछ की गयी.
आठ मिनट के भीतर आ गया फैसला
14 फरवरी 2017: आय से अधिक संपत्ति मामले में अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला की किस्मत का फैसला करने वाला शीर्ष अदालत का निर्णय आठ मिनट के भीतर आ गया. न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय अदालत संख्या छह में सुबह दस बजकर 32 मिनट पर आसन पर पहुंचे. अदालत अधिवक्ताओं और मीडियाकर्मियों से ठसाठस भरी हुई थी. अदालत के कर्मियों ने भारीभरकम फैसले का सील खोला. दोनों न्यायाधीशों ने कुछ पल चर्चा की. सन्नाटे के बीच, न्यायमूर्ति घोष ने फैसला सुनाने से पहले कहा, ‘आप समझ सकते हैं कि यह बहुत लंबा फैसला है. इसका भार हमने खुद पर लिया है.’ इसके तुरंत बाद, न्यायमूर्ति घोष ने फैसले का अहम हिस्सा सुनाना शुरू किया. तब तक दस बजकर 40 मिनट हो चुके थे. जैसे ही न्यायामूर्ति घोष ने फैसला सुनाया, अदालत में पसरा सन्नाटा कोलाहल में बदल गया और मीडियाकर्मी तथा कुछ अधिवक्ता अदालत में हुए घटनाक्रम की जानकारी देने बाहर की ओर निकले. इसके बीच, न्यायमूर्ति रॉय ने कहा कि वह न्यायमूर्ति घोष के साथ मिलकर एक पूरक फैसला दे रहे हैं. हमने समाज में बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर गहरी चिंता जतायी है.

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