नयी दिल्ली : सीबीआई ने कॉल रिकॉर्ड के आधार पर दावा किया है कि इशरत जहां के कथित फर्जी मुठभेड़ में उसके साथ जान गंवाने वाले जावेद शेख को अहमदाबाद जाने का ‘‘लालच दिया गया’’ था और उसे ‘‘जाल में फंसाया गया’’ था. सीबीआई के मुताबिक, कॉल रिकॉर्ड से पता चलता है कि खुफिया ब्यूरो के तत्कालीन संयुक्त निदेशक राजिंदर कुमार और शेख को आधे घंटे के भीतर बार-बार कॉल करने के लिए एक पीसीओ का इस्तेमाल किया गया था.
पिछले दिनों एक विशेष अदालत में सीबीआई द्वारा दाखिल अनुपूरक आरोप-पत्र में कहा गया कि 30 मिनट के भीतर गांधीनगर में नरेशमणि भाई चौधरी के पीसीओ से बार-बार राजिंदर कुमार द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले फोन, गुजरात पुलिस के एक कांस्टेबल, संयुक्त अरब अमीरात में एक अज्ञात नंबर, अहमदाबाद में खुफिया ब्यूरो के दफ्तर और जावेद उर्फ प्राणोश पिल्लई के सेलफोन पर कॉल की गयी.मुंबई से सटे ठाणे जिले के मुंब्रा के एक कॉलेज में पढ़ने वाली छात्र इशरत, जावेद शेख, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जोहर को अहमदाबाद के बाहरी इलाकों में गुजरात पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में 15 जून 2004 को मार गिराया गया था. आरोप पत्र में कहा गया कि 06 जून 2004 को उसी पीसीओ से रात 11:03 बजे से 11:28 बजे के बीच छह कॉल की गयी जिससे पता चलता है कि जावेद को अहमदाबाद जाने का लालच दिया गया और उसके लिए जाल बिछाया गया था.
सीबीआई ने यह आरोप भी लगाया है कि खुफिया ब्यूरो के अधिकारी – राजीव वानखेड़े, टी मित्तल और एम के सिन्हा – अमजद अली राणा और जीशान जोहर को अगवा करने की साजिश का हिस्सा थे और उनकी मंशा उन्हें ‘‘गुपचुप तरीके से बंधक बनाना’’ था. जांच एजेंसी का दावा है कि इशरत, जावेद, अमजद और जीशान को खत्म करने की साजिश में राजिंदर कुमार एक सक्रिय भागीदार थे.