नयी दिल्ली: भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग आज एक बार फिर लोकसभा में उठी और सदस्यों ने सरकार पर इस बारे में दिये गये आश्वासनों को लागू न न करने का आरोप लगाया.सदन में शून्यकाल के दौरान राजद के प्रभुनाथ सिंह ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि करीब 25 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कोई नई नहीं है. इस सदन में अनेक बार यह मामला उठ चुका है और सरकार पांच बार सदन में इस मांग को पूरी करने के बारे में आश्वासन दे चुकी है कि अति शीघ्र इस बारे में विधेयक आयेगा.
उन्होंने कहा कि सदन में जब कोई मंत्री आश्वासन देता है तो यह माना जाता है कि अब यह मांग पूरी होने वाली है. अब इस लोकसभा का कार्यकाल भी समाप्त होने जा रहा है लेकिन सरकार ने इस दिशा में कार्रवाई नहीं की. उन्होंने कहा कि सरकार यह आश्वासन दे की कि अगली सरकार जब आयेगी तो वह शुरु में ही इस बारे में प्रक्रिया चालू करे.कांग्रेस के संजय निरुपम और भाजपा के शाहनवाज हुसैन सहित विभिन्न दलों के अनेक सदस्यों ने सिंह की बातों का समर्थन करते हुए भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की.