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उपराज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजा केजरीवाल का इस्तीफा

पढ़े केजरीवाल की पूरा बयान केजरीवाल का सोचा समझा मास्टर स्ट्रोक नयी दिल्ली : दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपा. उन्होंने दिल्ली की राजनीतिक स्थिति से संबंधित रिपोर्ट भी उन्हें दी. आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के इस्तीफा देने के बाद के परिदृश्य पर उपराज्यपाल नजीब […]

पढ़े केजरीवाल की पूरा बयान

केजरीवाल का सोचा समझा मास्टर स्ट्रोक

नयी दिल्ली : दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपा. उन्होंने दिल्ली की राजनीतिक स्थिति से संबंधित रिपोर्ट भी उन्हें दी.

आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के इस्तीफा देने के बाद के परिदृश्य पर उपराज्यपाल नजीब जंग आज केंद्र को अपनी रिपोर्ट दे सकते हैं.

सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल गृह मंत्रालय के जरिए अंतिम फैसले के लिए इस बारे में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजेंगे कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केंद्रीय शासन लगाया जाये या लोकसभा के साथ चुनाव कराने के लिए विधानसभा को भंग किया जाए जैसी कि निवर्तमान मंत्रिमंडल ने सिफारिश की है. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल सरकार के इस्तीफे और मंत्रिमंडल की सिफारिश के साथ तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजेंगे.

हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दिल्ली में चुनाव होगा या कोई वैकल्पिक सरकार बनेगी. दिल्ली की राजनीतिक स्थिति पर उपराज्यपाल की रिपोर्ट के बाद ही केंद्र कोई फैसला करेगा, लेकिन अभी वह चुनाव कराने के मूड में नहीं है. इधर सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा चुनाव में जाने की तैयारी कर रही है, क्योंकि वह सदन में बहुमत साबित नहीं कर सकती है. कांग्रेस ने कहा है कि वह एलजी के फैसले का सम्मान करेगी. केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आम आदमी पार्टी जल्दी से जल्दी चुनाव कराना चाहती है.

सत्ता में 49 दिन की अपनी उतार-चढ़ाव भरी यात्रा को समाप्त करते हुए मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिमंडल की आखिरी बैठक हुई जिसमें सरकार ने इस्तीफा देने और उपराज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का फैसला किया, जिनकी सलाह के खिलाफ केजरीवाल ने विधानसभा में विधेयक पेश करने का प्रयास किया था.

देर रात केजरीवाल ने अपनी कुछ कैबिनेट सहकर्मियों के साथ इस्तीफा पत्र और विधानसभा भंग करने की सिफारिश जंग को सौंपी. राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने या लोकसभा चुनाव के साथ नये सिरे से चुनाव कराए जाने के लिए विधानसभा भंग करने या ना करने के विषय पर उपराज्यपाल द्वारा आज केंद्र को अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने की उम्मीद है.

केजरीवाल और जंग के बीच समीकरण आज से पहले तक तो ठीकठाक चल रहे थे लेकिन आज मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि वह केंद्र सरकार के वायसराय की तरह काम करते हैं जो सोचती है कि अब भी ब्रिटिश सरकार है. इससे पहले शुक्रवार को जंग ने विधानसभा को जन लोकपाल विधेयक पेश नहीं करने का सुझाव दिया था. उन्होंने कहा था कि इसके लिए पहले केंद्र सरकार की मंजूरी लेना जरुरी है.

कैबिनेट की बैठक के बाद 45 वर्षीय केजरीवाल सीधे मध्य दिल्ली स्थित आप मुख्यालय गए, जो सचिवालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर है. वहां उन्होंने बारिश के बावजूद खड़े अपने समर्थकों को संबोधित किया और इस्तीफे की घोषणा की. उन्होंने कहा, कैबिनेट ने इस्तीफा देने का फैसला किया है. हमने उपराज्यपाल से विधानसभा भंग करने और नये सिरे से चुनाव कराने की सिफारिश की है. उनके समर्थकों ने उनके भाषण का तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया.

आप सरकार को समर्थन दे रही कांग्रेस और भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने दोनों दलों पर आरोप लगाया कि रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी के खिलाफ गैस की कीमत के मुद्दे पर प्राथमिकी दर्ज कराये जाने के बाद सरकार को गिराने के लिए दोनों दल मिल गये हैं.

उन्होंने कहा, भाजपा और कांग्रेस का असली चेहरा सामने आ गया है. उन्होंने सदन में आज विधेयक पेश नहीं होने दिया. केजरीवाल ने आरोप लगाया कि पिछले 10 साल से अंबानी कांग्रेस की सरकार चला रहे हैं. कांग्रेस उनकी दुकान है और वह जो चाहें, जब चाहें खरीद सकते हैं. आप नेता ने नरेंद्र मोदी को भी नहीं छोड़ा और कहा कि पिछले एक साल से अंबानी उनके पीछे खड़े हैं.

उन्होंने कहा, मोदी की दौलत कहां से आ रही है. वह देशभर में हेलीकॉप्टर से उड़ान भर रहे हैं. वह बड़ी और महंगी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं. वह इस सबके लिए पैसा कहां से हासिल करते हैं. आज विधानसभा में नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला जब केजरीवाल ने उपराज्यपाल की सलाह को दरकिनार करते हुए विधेयक पेश किया जिसका भाजपा और कांग्रेस ने जमकर विरोध किया.

हंगामे और दो बार के स्थगन के बाद विधेयक पेश करने की अनुमति के लिए प्रस्ताव पर मतदान कराया गया और यह 70 सदस्यीय सदन में 27 के मुकाबले 42 मतों से गिर गया. मतदान के बाद केजरीवाल और उनके मंत्रियों के लिए उस धमकी पर अमल करने का ही रास्ता बचा था जो पिछले एक हफ्ते से दे रहे थे और कह रहे थे कि लोकपाल विधेयक पारित नहीं होने पर सरकार से इस्तीफा दे देंगे.

केजरीवाल ने अपने कार्यकाल में बिजली के दाम कम करने और मुफ्त पानी देने जैसे कुछ वायदों पर काम किया और कुछ फैसलों पर उन्हें समर्थन दे रही कांग्रेस से टकराव की स्थिति भी आई. 49 दिन की इस सरकार में कुछ विवाद भी सामने आये जिसमें कानून मंत्री सोमनाथ भारती द्वारा रात में छापामारी करना और पुलिस से टकराव होना प्रमुख रहा.

केजरीवाल ने पार्टी समर्थकों से कहा कि कांग्रेस ने इसलिए जनलोकपाल विधेयक का विरोध किया क्योंकि उन्होंने शीला दीक्षित, केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली और अंबानी के खिलाफ मामले दर्ज कराके भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई शुरु की है.

उन्होंने कहा, वे मेरा मजाक उड़ाते हुए कह रहे थे कि मेरे पास केवल भ्रष्टाचार निरोधक शाखा है लेकिन अगर जनलोकपाल विधेयक पारित हो जाता तो उनमें से आधे जेल चले जाते. उन्होंने सरकार को गिराने के लिए साजिश रची. केजरीवाल ने कहा, अंबानी और मोइली के बाद (शरद) पवार की बारी आती और फिर कमलनाथ की. इसलिए केजरीवाल को हटाया गया है. मैं छोटा आदमी हूं. मेरी औकात क्या है. मैं यहां सत्ता के लिए नहीं आया. उन्होंने कहा कि सरकार ने बिजली के दाम में कमी की और मुफ्त पानी देने के साथ ही भ्रष्टाचार में भी तेजी से गिरावट लाई गयी.

केजरीवाल के मुताबिक, हमने ईमानदारी से काम करने की कोशिश की लेकिन हम भी इंसान हैं. लोग कहते हैं कि हम सरकार नहीं चला सकते. 40 दिन में हमने भ्रष्टाचार को कम किया और शीला दीक्षित के भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की. वे कहते हैं कि सरकार चलाओ, मैं कहना चाहता हूं कि भ्रष्टाचार कम करना भी शासन चलाना है. केजरीवाल ने उपस्थित कार्यकर्ताओं से कहा कि उनकी सरकार इस्तीफा दे रही है और यह कहते हुए उन्हें गर्व है कि लोकपाल के लिए वह 100 बार इस्तीफा देंगे तथा मुख्यमंत्री के पद को कुर्बान कर देंगे. देश के हित में ऐसा करते हुए मैं खुद को भाग्यशाली समझूंगा.

मुख्यमंत्री ने शु्क्रवार को संसद में सांसदों के आचरण पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आज दिल्ली विधानसभा में भी ऐसा ही हुआ. भाजपा और कांग्रेस के सदस्यों ने विधानसभा में जो किया वह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है. उन्होंने कहा, वे कहते हैं कि विधेयक असंवैधानिक है. क्या माइक तोड़ना संवैधानिक है. हम देश, संविधान और देश के लोगों के लिए लड़ रहे हैं. हम उन्हें सबक सिखाएंगे.

मैं संविधान के लिए अपनी जान कुर्बान करने को तैयार हूं. हम संविधान का पालन करेंगे जिसे अंबेडकर जैसे लोगों ने बनाया था. उन्होंने कहा, वे कहते हैं कि संसद मंदिर है. क्या आप मंदिर जाते हैं और मूर्तियों को तोड़ते हैं. क्या आप चर्च जाते हैं और बाइबल फाड़ते हैं. अपना भाषण समाप्त करने से पहले उन्होंने कहा, मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं. हम छोटे लोग हैं. कृपया हमें आशीर्वाद दें और हमारा मार्गदर्शन करें. हमें देश के लिए बलिदान देने का अवसर दें.

स्वराज बिल के लिए हजार बार सीएम की कुरसी कुर्बान

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर अरविंद केजरीवाल पार्टी दफ्तर पहुंचे, तो कार्यकर्ताओं का जोश देखने लायक था. केजरीवाल दफ्तर में उसी स्थान पर पहुंचे, जहां से आठ दिसंबर को दिल्ली विधानसभा का चुनाव नतीजा घोषित होने के बाद कार्यकर्ताओं से रू-ब-रू हुए थे. केजरीवाल ने कहा, ‘हमने दिल्ली की जनता से वादा किया था कि हम जनलोकपाल बिल पारित करेंगे. कांग्रेस ने लिख कर दिया था कि समर्थन देंगे, लेकिन आज कांग्रेस और भाजपा दोनों का असली चेहरा सामने आ गया.’

केजरीवाल ने सवाल किया कि ऐसा क्यों हुआ. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि उन्होंने मुकेश अंबानी के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया. अंबानी कहते हैं कि कांग्रेस उनकी दुकान है. केजरीवाल ने सवाल किया कि मोदी के पास इतनी बड़ी-बड़ी रैलियों के लिए पैसे कहां से आते हैं. अंबानी से? इसी वजह से दोनों दलों ने जनलोकपाल पास नहीं होने दिया. उन्हें लग रहा था कि अभी तो केजरीवाल ने एंटी करप्शन सेल का गठन कर परेशान कर दिया है. जनलोकपाल आ गया, तो कहीं मुकेश अंबानी की गिरफ्तारी न हो जाये. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने पांच दिन में बिजली कंपनियों का ऑडिट का आदेश दिया. 45 दिन में भ्रष्टाचार कम किया. शीला दीक्षित, मुकेश अंबानी के खिलाफ एफआइआर किया.

हमें कहा गया कि गवर्नेस पर ध्यान दीजिए. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना ही तो गवर्नेस है. कहा कि तुम्हारे सारे कुकर्म संवैधानिक, हम भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते हैं, तो गैरसंवैधानिक. केजरीवाल ने फिर दोहराया कि इस संविधान में कहीं नहीं लिखा कि हमें जनलोकपाल पेश करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति लेने की जरूरत है. कहा कि उन्होंने विधानसभा की शपथ ली थी, संविधान की शपथ ली थी, केंद्र के गैरकानूनी आदेश मानने की शपथ नहीं ली थी. लोकपाल या स्वराज बिल के लिए 100 बार तो क्या हजार बार भी मुख्यमंत्री की कुरसी कुर्बान करने को तैयार हूं. केंद्र सरकार कौन है, अंग्रेज है क्या? दिल्ली के उपराज्यपाल खुद को वायसराय समझते हैं क्या? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और कांग्रेस ने विधानसभा और संसद को शर्मसार किया.

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