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स्वस्थ लोकतंत्र के लिए कैग,सीवीसी को मजबूत करने की जरूरत : सुषमा

नयी दिल्ली : नीतिगत पंगुता के लिए सतर्कता एवं जांच एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराने पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि कई बार कैग और सीवीसी जैसी संस्थाओं का उत्साह सत्तारुढ़ वर्ग को रास नहीं आता लेकिन स्वस्थ्य लोकतंत्र में ऐसी संस्थाओं को मजबूत बनाया […]

नयी दिल्ली : नीतिगत पंगुता के लिए सतर्कता एवं जांच एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराने पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि कई बार कैग और सीवीसी जैसी संस्थाओं का उत्साह सत्तारुढ़ वर्ग को रास नहीं आता लेकिन स्वस्थ्य लोकतंत्र में ऐसी संस्थाओं को मजबूत बनाया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि संविधान ने जिन संगठनों को सतर्कता के अधिकार दिए हैं, अक्सर उनके खिलाफ आलोचना के स्वर सुने जाते हैं. स्वराज ने यहां सीवीसी के स्वर्ण जयंती समारोह के उद्घाटन के दौरान कहा, ‘‘हाल ही में एक बयान आया जो मुझे बड़ा खटका कि कैग और सीवीसी तरक्की में बाधक है. मैं इस मंच से कहना चाहूंगी कि यह स्वस्थ सोच नहीं है. ऐसी सोच लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.’’उन्होंने कहा, ‘‘पूरा संवैधानिक प्रारुप नियंत्रण एवं संतुलन पर आधारित है. सतर्कता और एहतियात संविधान को मजबूत करने के तरीके हैं.’’उन्होंने कहा कि अतएव इन संस्थाओं को मजबूत बनाना जरुरी है जिन्हें संविधान ने लोकतांत्रिक सरकार के विभिन्न अंगों पर नजर रखने के अधिकार प्रदान किए हैं. सुषमा स्वराज ने कहा, ‘‘इन संगठनों में किसी भी तरह के गिरावट से लोकतंत्र पर बहुत बुरा असर पड़ेगा.’’ उन्होंने कहा कि असल में सीवीसी को तब अधिकार मिले जब सीवीसी अधिनियम 2003 लागू हुआ और उसने नये उत्साह से काम करना शुरु किया.

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन कई बार जांच एजेंसियों का यह उत्साह सत्तारुढ़ वर्ग को रास नहीं आता. शासक केंद्र और राज्य के हो सकते हैं.’’ पिछले महीने कांग्रेस के सत्र में प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘‘हम सहमत हैं कि हमारी वृद्धिदर के धीमी रहने के लिए कुछ निश्चित घरेलू कारण जिम्मेदार हैं. बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं को तेजी से मंजूरी नहीं मिल रही हैं. नौकरशाह निर्णय लेने से हिचकिचा रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं कैग और सीवीसी उनके फैसले पर अंगुली न उठा दे.’’उससे पहले वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने भी पिछले साल नवंबर में जांच एजेंसियों और कैग पर भड़ास निकाली थी कि वे अपनी सीमाएं लांघ रहे हैं और वे उचित सरकारी फैसलों को या तो अपराध बता देती हैं या फिर पद के दुरुपयोग का मामला बता देती हैं.

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