नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पद पर शशि कांत शर्मा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार के लिए आज तैयार हो गया.
न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि इस जनहित याचिका पर शीघ्र सुनवाई की आवश्यकता नहीं है, इसलिए इस पर जुलाई में विचार किया जायेगा. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज ही रक्षा सचिव शशि कांत शर्मा को देश के नये नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पद की शपथ दिलायी है.
भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1976 बैच के बिहार काडर के 61 वर्षीय शर्मा की नियुक्ति विनोद राय के स्थान पर की गयी है जो कल साढ़े पांच साल बाद इस पद से सेवानिवृत्त हो गये. वकील मनोहर लाल शर्मा ने शशि कांत शर्मा की नियुक्ति को चुनौती देते हुये कहा है कि पिछले दस साल में वह रक्षा मंत्रालय में कई ऐसे संवेदनशील पदों पर रह चुके हैं जहां महत्वपूर्ण रक्षा सौदे हुये थे और ऐसी स्थिति में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पद पर उनकी नियुक्ति से हितों का टकराव होगा.
याचिका में कहा गया है, उन्हें अपने पिछले कार्यकाल के लेखा जोखे की रिपोर्ट, काम और निष्पादन का ऑडिट करने के लिये ऑडिटर नियुक्त नहीं किया जा सकता. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पास हेलीकॉप्टर सौदा कांड सहित अरबों खरबों के विभिन्न रक्षा सौदों से संबंधित अनेक मामले जांच के लिये लंबित हैं. इसलिए शर्मा को अपने ही कामकाज का किसी भी तरह से ऑडिट करने के लिये नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक नियुक्त नहीं किया जा सकता. याचिका में कहा गया है कि सरकार ने विद्वेषपूर्ण, मनमाने तरीके से और तमाम वित्तीय गड़बडि़यों को न्यायोचित ठहराने की योजना के तहत यह कार्रवाई की है.
ऐसी स्थिति में न्याय के हित में शशि कांत शर्मा की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पद पर नियुक्ति की न्यायालय को जांच करनी चाहिए.
शशिकांत शर्मा ने कैग का पदभार संभाला
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रपति भवन में शशिकांत शर्मा को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) पद की शपथ दिलाई. शर्मा ने विनोद राय का स्थान लिया है, जो कल सेवानिवृत्त हुए हैं. 61 वर्षीय शर्मा 1976 के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. कैग के रुप में राय का साढ़े पांच साल का कार्यकाल काफी चर्चित रहा.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि शशिकांत शर्मा 24 सितंबर, 2017 तक इस पद पर बने रहेंगे. इससे पहले वह रक्षा सचिव थे. शर्मा ने सरकारी आडिटर के प्रमुख का पद ऐसे समय संभाला है, जबकि कैग की 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की रिपोर्ट को लेकर सरकार और सत्ताधारी दल द्वारा उसकी कड़ी आलोचना की जा रही है.
राय के कार्यकाल के दौरान कैग पर अपने दायरे यानी आडिट से बाहर जाकर नीतिगत फैसलों के विश्लेषण का आरोप लगा था. वहीं दूसरी ओर राय ने इसके जवाब में हमला बोलते हुए कहा कि सरकार चाहती है कि कैग सिर्फ अकाउंटेंट बना रहे. नए कैग को अगस्तावेस्टलैंड हेलीकाप्टर सौदे और अन्य आडिट रिपोटरें को देखना होगा. 2010 में यह सौदा पूरा होने तक वह नजदीकी से इसे जुड़े रहे हैं.