जोधपुर : राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक नाबालिग लड़की के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में गिरफ्तार किए गए आसाराम की जमानत याचिका आज खारिज कर दी. न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर ने यह आदेश देते हुए बचाव पक्ष के वकील राम जेठमलानी की दलीलों को खारिज कर दिया.जेठमलानी ने दलील दी कि धारा 376(2) (एक लड़की का बलात्कार जब उसकी आयु 12 वर्ष से कम हो) और अन्य के तहत आरोप अनावश्यक हैं. उन्होंने पीड़िता के आरोपों पर भी सवाल उठाए और दावा किया कि वह अपने माता पिता के साथ स्वयं आसाराम के आश्रम में आई थी.
जेठमलानी ने कहा कि आसाराम लंबे समय से कारागार में हैं और वह कमजोर एवं बीमार हैं. अभियोजन पक्ष के वकील ने जेठमलानी की दलीलों का जवाब देते हुए कहा कि आरोप पत्र आरोपों को मजबूत करता है. सरकारी वकील महिपाल बिश्नोई ने कहा, ‘‘इसके अलावा इस मामले की परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं आया है.’’न्यायमूर्ति कौर ने दलीलें समाप्त होने के बाद तीन फरवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. उन्होंने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आसाराम की जमानत याचिका खारिज कर दी. आसाराम को यहां उनके एक आश्रम में एक किशोरी के यौन उत्पीड़न के आरोप में पिछले वर्ष अगस्त में गिरफ्तार किया गया था. वह तभी से जेल में हैं. इसके बाद सूरत निवासी दो बहनों ने आसाराम और उनके बेटे नारायण साई पर बलात्कार का आरोप लगाया था.