नयी दिल्ली:भाजपा ने आज कहा कि इशरत जहां मामले को लेकर सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के कथित बयान के बाद जांच एजेंसी के कथित राजनीतिक दुरुपयोग की सच्चाई ‘‘सामने आ गई है’’. साथ ही पार्टी आरोप लगाया कि कांग्रेस संप्रग के दशक भर लंबे शासन के दौरान एजेंसी के साथ ‘‘जोड़तोड़ करने में महारथ हासिल कर ली है.’’
सिन्हा ने कथित तौर पर कहा था कि यदि नरेंद्र मोदी के सहयोगी अमित शाह को इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी बनाया गया होता तो संप्रग सरकार खुश होती. सिन्हा ने कल ऐसी किसी टिप्पणी से इंकार किया था. इसके बावजूद भाजपा नेता अरुण जेटली ने कांग्रेस नीत गठबंधन सरकार पर जोरदार हमला किया.उन्होंने अपने ब्लॉग पर एक लेख में कहा, ‘‘कल सीबीआई निदेशक का एक बयान प्रकाशित हुआ था..सच्चाई सामने आ गई है..सीबीआई निदेशक द्वारा अपने दिये बयान को नकारना महत्वहीन है.’’
जेटली ने कहा कि सीबीआई निदेशक के अपने बयान से मुकरने के बावजूद इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि सीबीआई लचीला रुख अपनाती है. उन्होंने कहा, ‘‘संप्रग ने 2004.2014 के दौरान सीबीआई में जोड़तोड़ की कला में महारथ हासिल कर ली है. इस अवधि के दौरान सीबीआई सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं थी.’’ उन्होंने संप्रग द्वारा सीबीआई के कथित जोड़तोड़ करने की प्रक्रिया की गंभीरता से जांच पड़ताल करने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘इससे भी खराब स्थिति यह थी कि वह सत्ताधारी पार्टी द्वारा नियंत्रित थी.’’
जेटली की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया जताते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा, ‘‘सीबीआई एक स्वतंत्र एजेंसी के तौर पर काम करती है. इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता. यह कहना गलत है कि सरकार उसे नियंत्रित करती है या उसे निर्देशित करती है.’’ जेटली ने कहा, ‘‘सीबीआई निदेशक के बयान और स्पष्टीकरण से अलग, चूंकि संप्रग सरकार का कार्यकाल समापन की ओर अग्रसर है, यह सहायक होगा यदि सीबीआई के साथ जोड़तोड़ की प्रक्रिया की गंभीरता से समीक्षा की जाए.’’ उन्होंने कहा कि सीबीआई के निदेशक के लिए किसी लचीले व्यक्ति का चयन किया जाता है. यह संगठन उसके प्रमुख द्वारा ही संचालित होता है और उसका फैसला ही अंतिम होता है.
उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी एक विशेष व्यक्ति को दोषारोपित करने या दोषमुक्त करने के विचार के साथ जांच फाइल तैयार करते हैं तथा ‘‘आंतरिक जांच या संतुलन पूरी तरह से धराशायी हो चुका है.’’ राज्यसभा में विपक्ष के नेता जेटली ने यह भी आरोप लगाया कि सीबीआई निदेशकों को सेवानिवृत्ति से पहले नये काम की पेशकश की जाती है और सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें काम सुझाया जाता है और ‘‘यह उनके लचीलेपन में योगदान करता है.’’