नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने के लिये दायर याचिका पर आज सुनवाई पूरी कर ली. न्यायालय इस पर बाद में फैसला सुनायेगा. इस बीच, केंद्र सरकार ने इन दोषियों की दलीलों का पुरजोर विरोध किया है. प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मौत की सजा कम करने के लिये तीन दोषियों संतन, मुरुगन और पेरारिवलन के वकीलों तथा केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती की दलीलों को सुना.
अटार्नी जनरल ने दलील दी कि दया याचिका के निबटारे में विलंब के आधार पर दोषियों की सजा कम करने हेतु उच्चतम न्यायालय के लिये यह उचित मामला नहीं है. वाहनवती ने स्वीकार किया कि दया याचिकाओं पर निर्णय करने में विलंब हुआ है लेकिन यह विलंब मौत की सजा कम करने के लिये अनुचित, न समझने योग्य और अविवेकपूर्ण नहीं था. उन्होंने कहा कि अत्यधिक विलंब के आधार पर मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का आधार बनाने संबंधी शीर्ष अदालत का हालिया निर्णय भी इस मामले में लागू नहीं होता है क्योंकि मौत की सजा पाये कैदियों को वेदना, यंत्रणा और अमानवनीय अनुभवों से नहीं गुजरना पड़ा है जैसा कि 21 जनवरी के फैसले में कहा गया है.
इन दोषियों के वकील ने वाहनवती की दलीलों का विरोध करते हुये कहा कि दया याचिकाओं के निबटारे में अत्यधिक विलंब के कारण उन्हें भी कष्ट भोगना पड़ा है. इसलिए शीर्ष अदालत को इसमें हस्तक्षेप करके तीनों दोषियों की सजा उम्र कैद में तब्दील करनी चाहिए. इन दोषियों ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके बाद दया याचिकायें दायर करने वाले कैदियों की याचिकाओं पर फैसला किया गया लेकिन सरकार ने उनकी याचिकाओं को लंबित रखा.