नयी दिल्ली : ईशरत जहां की कथित फर्जी मुठभेड से संबंधित फाइलों के गायब होने की जांच कर रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बीके प्रसाद को दो महीने का सेवा विस्तार दिया गया है. प्रसाद तमिलनाडु कैडर के 1983 बैच के अधिकारी हैं. वह 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे और वह जुलाई तक सेवा देते रहेंगे. एक अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव प्रसाद को दो महीने का सेवा विस्तार दिया गया है जो एक जून से 31 जुलाई, 2016 के प्रभावी होगा। अधिकारी ने सेवा विस्तार की वजह नहीं बताई.
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि प्रसाद की अगुवाई वाली एक सदस्यीय समिति के तथ्यों पर गृह मंत्रालय के आगे के कदम पर फैसला करने में मदद के लिए यह सेवा विस्तार दिया गया है. इस समिति को इस महीने के आखिर तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. सूत्रों ने कहा कि समिति अब तक लापता दस्तावेजों तक नहीं पहुंच पाई है. इस साल मार्च में संसद में हंगामे के बाद गृह मंत्रालय ने प्रसाद से इस पूरे मामले की जांच के लिए कहा था.
गुजरात में 2004 में 19 साल की ईशरत और तीन अन्य लोग जहां को कथित फर्जी मुठभेड में मारे गए थे। गुजरात पुलिस ने उस वक्त कहा था कि मारे गए लोग लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी थे और वे गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के लिए राज्य में दाखिल हुए थे. गृह मंत्रालय से इस मामले से जुडे जो दस्तावेज गायब हुए हैं उनमें गुजरात उच्च न्यायालय में 2009 में तत्कालीन एटार्नी जनरल की ओर से पेश हलफनामे की प्रति तथा दूसरे हलफनामे का मसौदा है जिनमें तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम की ओर से बदलाव किए गए थे. पिछले दिनों उस वक्त बडा विवाद खडा हुआ जब यह बात सामने आई कि चिदंबरम ने उस हलफानमे में बदलाव करवाया था जिसमें ईशरत जहां और उसके साथियों को लश्कर आतंकी बताया गया था. पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लै की ओर से तत्कालीन एटॉर्नी जनरल जी ई वाहनवती को लिए गए दो पत्र और हलफनामे के मसौदे की प्रति गायब है.
प्रसाद भी हाल ही में उस वक्त विवाद में आ गए थे जब गृह मंत्रालय में विदेशी नागरिक प्रभाग में कार्यरत एक अवर सचिव ने उन पर फोर्ड फाउंडेशन को एफसीआरए के उल्लंघन के आरोप में क्लीन चिट देने का दबाव बनाने का आरोप लगाया था। प्रसाद ने इस आरोप से इंकार किया था.