नयी दिल्लीः राजद प्रमुख लालू प्रसाद के जमानत पर जेल से रिहा होने के बाद से बिहार की राजनीति में सरगर्मी तेज हो गयी है. इसके नतीजे भी दिखने लगे हैं. अगले लोकसभा चुनाव में बिहार में अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद)और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा)के साथ मैदान में उतरेगी. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने नीतीश कुमार के जदयू के साथ चुनाव में जाने का विचार त्याग कर लालू और राम विलास पर भरोसा जताया है. इस गंठबंधन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा)को भी शामिल हो सकती है.
सोनिया ने दी थी बधाई : अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ राजद एवं लोजपा का तालमेल होने के प्रति आशान्वित लालू ने बुधवार को पटना में संवाददाताओं से कहा कि रांची जेल से छूटने पर उनका हाल-चाल जानने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें फोन किया था. सोनिया जी ने उन्हें बधाई देते हुए उनके जेल से छूटने पर खुशी का इजहार किया.
साथ का मिल चुका है लाभ : संप्रग -एक सरकार में लालू प्रसाद रेल मंत्री थे. उस समय उनकी पार्टी 22 सीटों के साथ संप्रग का दूसरा सबसे बड़ा घटक दल था. लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ इन दोनों दलों का गंठबंधन नहीं हुआ. कांग्रेस में ऐसी धारणा है कि राजद और लोजपा के साथ गंठबंधन से 2004 के जादू को दोहराया जा सकता है. जब इन तीनों दलों ने मिल कर बिहार की 40 में से 29 सीटों पर सफलता हासिल की थी. उस समय कांग्रेस को तीन सीटें और लोजपा को चार सीटें मिली थीं.
कांग्रेस को लालू से उम्मीद
कांग्रेस को लगता है कि बिहार में नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता को रोकने के लिए राजद – लोजपा से गंठबंधन ज्यादा कारगर होगा. जदयू में भी कांग्रेस से चुनाव से पहले गंठबंधन को लेकर एक राय नहीं है. ऐसे में कांग्रेस, राजद और लोजपा का एक साथ जाना तय माना जा रहा है.
चौधरी ने दिये संकेत
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने गुरुवार को राहुल गांधी से मुलाकात की. उन्हें भाजपा-जदयू गंठबंधन के टूटने के बाद राज्य के राजनीतिक हालात से अवगत कराया. राहुल गांधी के निवास पर हुई यह मुलाकात करीब आधे घंटे तक चली. चौधरी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की.