नयी दिल्ली : महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के शिडय़ूल एक, दो में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कई संशोधन किये हैं. इसमें टिकाऊ, मजबूत और सामुदायिक संपत्तियों को मजबूत करनेवाले काम जोड़े गये हैं.
मनरेगा की आलोचना होती रही है कि इसमें स्थायी काम या परिसंपत्तियों के निर्माण का प्रावधान नहीं है. कैग ने कई चीजें जोड़ने की सिफारिश की थी. साथ ही राज्य सरकारों और कुछ सामाजिक संगठनों की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने मजबूत, टिकाऊ संपत्ति खड़ा करना, भुगतान में विलंब पर अफसरों की वेतन कटौती, शिकायत प्रणाली को मजबूत करना तथा कृषि से संबंधित नये कार्य आदि को जोड़ा है. इसमें ईंट बनाने से नरेगा की संपत्तियों के मेंटेनेंस भी शामिल हैं.
* 15 दिन में भुगतान न करनेवाले अधिकारियों के वेतन से राशि काट कर मजदूरों को दी जायेगी
– महत्वपूर्ण बदलाव
* शौचालय, आंगनबाड़ी केंद्र, अनाज भंडारण में मनरेगा की राशि का उपयोग होगा
* छोटे, सीमांत, दलित और आदिवासी किसानों की अपनी जमीन पर किये गये कार्य भी नरेगा में शामिल होंगे
* जिनके पास जॉब कार्ड है, अपना जॉब कार्ड दिखा कर 10,000 हजार रुपये लेकर शौचालय बनवा सकेंगे
– नये काम जोड़ने का उद्देश्य
* रोजगार देना, ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाना और सामुदायिक संपत्तियां खड़ा करना
उपस्थिति के आधार पर मजदूरी नहीं : मनरेगा का भुगतान उपस्थिति के आधार पर हो रहा है. इसे खत्म कर अब मेजरमेंट के आधार पर किया जायेगा.