शिलांग : भारत में उच्च शिक्षा व्यवस्था को जैसे तैसे चलना जारी रहने की अनुमति नहीं देने पर जोर देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि नवोन्मेषी बदलाव लाने के लिए प्रशासकों एवं शिक्षाविदों में इसकी उच्च स्तरीय जरुरत महसूस की जानी चाहिए.
प्रणब ने इस बात पर खेद जताया कि दुनिया की 200 शीर्ष संस्थाओं की सूची में कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय अपना स्थान नहीं बना सका. उन्होंने कहा कि दुनिया की संस्थाओं में अपने आप को स्थापित करने के लिए उन्हें सावधान रहने की जरुरत है. राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि उत्कृष्ठता हासिल करने और दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं में स्थान बनाने के लिए विश्वविद्यालयों के विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित किये जाने की जरुरत है.
नार्थ इस्टर्न हिल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए प्रणब ने कहा, ‘‘हमारा शैक्षणिक पाठ्यक्रम दुनिया के उच्च मानकों के अनुरुप नहीं हैं जो दुनिया के विश्वविद्यालयों से मान्यता प्राप्त हों. हम अपने को स्थापित करने पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. हमें सतर्क रहना होगा.’’