नयी दिल्ली : पकडे गए पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद नावेद याकूब का आज लाई डिटेक्टर टेस्ट हुआ. अपने भारतीय संपर्कों और भारत में घुसने के लिए उसके समूह द्वारा अपनाए गए मार्ग के बारे में ‘विरोधाभासी और भ्रामक’ बयान दिए जाने के बाद उसे इस परीक्षण से गुजारा गया. दिल्ली की एक अदालत के आदेश के अनुपालन में नावेद को आज सुबह कड़ी सुरक्षा में सीएफएसएल लाया गया और पॉलीग्राफ टेस्ट करने से पहले उसे कुछ समय के लिए एकांत में रखा गया.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गुप्तचर ब्यूरो सहित विभिन्न सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के अधिकारी परीक्षण के दौरान मौजूद थे, जिसके विस्तृत विश्लेषण की प्रतीक्षा है. एक संबंधित घटनाक्रम में एनआईए ने आज लश्कर ए तैयबा के दो आतंकवादियों के स्केच जारी किए, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने नावेद के साथ जम्मू कश्मीर के गुलमर्ग सेक्टर में घुसपैठ की थी.
आतंकवाद रोधी एजेंसी ने कोई ऐसी सूचना उपलब्ध कराने वाले को पांच लाख रुपये का इनाम देने की भी घोषणा की जिससे इन आतंकियों की गिरफ्तारी संभव सके. इन दोनों आतंकियों की पहचान जारगन उर्फ मोहम्मद भाई :(उम्र 38 से 40 साल) तथा अबू ओकाशा (उम्र 17 से 18 साल के बीच) के रुप में हुई है.
पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए नावेद ने लिखित में अपनी मंजूरी दी थी. माना जाता है कि परीक्षण के दौरान उससे इस बारे में पूछा गया कि जम्मू कश्मीर में घुसपैठ के दौरान उसके साथ कितने लोग थे और राज्य में दो महीने तक ठहरने के दौरान वह किन लोगों से मिला और किनके साथ रहा.
एनआईए सूत्रों ने बताया कि नावेद आतंकवादियों कनावेद ने उस वाहन की नंबर प्लेट के बारे में भी गलत सूचना दी थी जो चार अगस्त को जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग स्थित टमाटर मोड पर उसे और उसके साथी नोमान को लेकर आया था. एनआईए ने नावेद के डीएनए और आवाज के नमूने भी लिए. उधमपुर जिले में पांच अगस्त को सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) की बस पर हुए हमले के बाद नावेद को स्थानीय लोगों ने पकड लिया था.
इस हमले में बीएसएफ के दो जवान शहीद हो गए थे और आतंकी नावेद का साथी मोहम्मद नोमान उर्फ मोमिन बीएसएफ की जवाबी कार्रवाई में मारा गया था. एनआईए सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के फैसलाबाद से ताल्लुक रखने वाले आतंकी के डीएनए नमूने उसकी राष्ट्रीयता साबित करने में मददगार हो सकते हैं. इस्लामाबाद कहता रहा है कि नावेद पाकिस्तानी नागरिक नहीं है.
गत सप्ताहांत जम्मू से लाए जाने से पहले नावेद का आमना-सामना विभिन्न जेलों में बंद फैसलाबाद से ताल्लुक रखने वाले आतंकियों से कराया गया था. इसके बाद जांचकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि नावेद इस बारे में झूठ नहीं बोल रहा कि वह कहां से ताल्लुक रखता है. संख्या और भारत में घुसपैठ के लिए अपना गए मार्ग तथा इस बारे में विरोधाभासी बयान दे रहा था कि वह जम्मू कश्मीर में किन लोगों के संपर्क में आया.