जोधपुर : कथित यौन शोषण मामले में जेल गये आसाराम कोबुधवार कोएक और झटका लगा क्योंकि राजस्थान उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका की सुनवाई को एक अक्तूबर के लिए टाल दिया. बचाव पक्ष ने जमानत याचिका पर अपनी दलीलो के समर्थन में कुछ हलफनामे एवं साक्ष्य पेश करने के लिए थोड़ समय मांगा.
इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर ने सुनवाई को एक अक्तूबर के लिए टाल दिया. अदालत ने गत सोमवार को सुनवाई आज के लिए टाल दी थी. अभियोजन पक्ष के वकील एएजी आनंद पुरोहित ने अदालत से कहा कि प्राथमिकी एवं अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 161 (पुलिस द्वारा गवाहों की जांच) एवं धारा 164
(स्वीकारोक्ति एवं बयान दर्ज करना) के तहत दर्ज किया बयान एक समान हैं जो यह साबित करते हैं कि प्राथमिकी में कुछ भी गढ़ा नहीं गया है.
जब बचाव पक्ष के वकील राम जेठमलानी ने इन दोनों बयानों को मांगा तो अदालत ने कहा कि धारा 161 के तहत बयान मुहैया नहीं कराया जा सकता क्योंकि जांच अभी जारी है. लेकिन अदालत में आवेदन देकर धारा 164 के तहत बयान को हासिल किया जा सकता है.
अभियोजन पक्ष लड़की से स्थान की पुष्टि एवं पहचान करवा रहा है ताकि अपराध का दृश्य एवं साजिश को स्थापित किया जा सके. इसमें अप्रैल से अगस्त के बीच शिल्पी (आसाराम की विश्वस्त), शिवा (आसाराम के सहायक), प्रकाश (रसोइया) के बीच टेलीफोन वार्ता का भी उल्लेख किया जायेगा.
अभियोजन ने अदालत में दलील दी कि आसाराम ने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया है कि उनके कहने पर लड़की और उसके अभिभावकों को मनई आश्रम में बुलाया गया और वह लड़की के साथ कमरे में अंदर थे. लड़की को गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित बताये जाने की बचाव पक्ष की दलील पर अभियोजन ने कहा कि वह एक मेधावी छात्रा रही है.
अभियोजन ने दलील दी, यदि वह मानसिक रुप से बीमार होती और पुरुषों के बारे में कल्पनाएं करती तो वह गुरुकुल की मेधावी छात्रा नहीं हो सकती थी और इस बारे में कुछ मेडिकल रिपोर्ट भी होनी चाहिए थी. दलीलों को जारी रखने के बचाव पक्ष के अनुरोध पर अदालत ने उससे एवं अभियोजन से पूछा कि क्या वे ऐसा करने के लिए तैयार हैं.
अंतत: कुछ हलफनामों एवं साक्ष्यों के साथ आने के लिए समय दिये जाने के बचाव पक्ष के अनुरोध को स्वीकार करते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई एक अक्तूबर के लिए टाल दी.